तीखी कलम से

मेरे बारे में

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शनिवार, 30 जनवरी 2016

ग़ज़ल


मैं  इबादत   हसरतों   के  नाम   ही  करता  रहा ।
वक्त  से   पहले  कोई  सूरज  यहां  ढलता  रहा ।।

जिंदगी  के  हर अंधेरो  से  मैं  बाजी  जीत  कर ।
बन मुहब्बत  का दिया मैं  रात भर  जलता रहा ।।

रात   की   तन्हाइयाँ   ले  कर   गयीं  यादें   तेरी ।
फिर  सहर आई  तो  मैं यूँ  हाथ  को  मलता  रहा।।

जब  से   देखा  रिन्द  ने  साकी   तेरे अंदाज  को ।
मैकदे  में   जाम  का यह  सिलसिला चलता रहा ।।
                
रात  दिन  सजदा  मेरा  होता  रहा  उस  हुश्न  को ।
जो किसी नागन की माफिक उम्र भर डंसता रहा ।।

                           **** नवीन

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (31-01-2016) को "माँ का हृदय उदार" (चर्चा अंक-2238) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 31 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! 

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  3. बहुत अच्छी रचना ।

    आपके ब्लॉग को यहाँ शामिल किया गया है ।
    ब्लॉग"दीप"

    यहाँ भी पधारें-
    तेजाब हमले के पीड़िता की व्यथा-
    "कैसा तेरा प्यार था"

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