तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

हर मयक़शी के बीच कई सिलसिले मिले

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हर मयकशी के बीच कई  सिलसिले मिले ।
देखा  तो  मयकदा  में  कई मयकदे  मिले ।।

साकी शराब डाल के हँस  कर के यूं  कहा।
आ   जाइए    हुजूर   मुकद्दर  भले   मिले ।।

कैसे   कहूँ   खुदा  की  इबादत  नहीं  वहां ।
रिन्दों के  साथ में भी नए  फ़लसफ़े  मिले ।।

यह बात और  है की  उसे  होश  आ  गया ।
वरना   तमाम  रात  उसे   मनचले   मिले ।।

जिसको फ़कीर जान के करता था एहतराम।
चर्चा  उसी  के  घर  में   ख़ज़ाने  दबे  मिले ।।

मुझ से न पूछिए कि  ज़माने  से क्या मिला ।
बदले  मिज़ाज़ ले  के  यहाँ  सिरफ़िरे  मिले ।।

पीना गुनाह  था  तो शराफ़त क्यूँ  छोड़ दी ।
कुछ   दाग  उसूलों  में  बड़े    बेतुके  मिले ।।

बेचैनियाँ     सबूत     हजारों    बता   गयीं ।
अक्सर  ही  सिलवटों  में  तेरे  बिस्तरे मिले ।।

क़ातिल तेरी निगाह में कुछ ख़ासियत तो है ।
दीवानगी    में   लोग   बहुत   गमज़दे   मिले ।।

हुस्नो शबाब भर  के जो बोतल  उछाल  दी ।
साकी   शरीफ़  लोग  शराफ़त  कटे   मिले ।।


                 --- नवीन मणि त्रिपाठी

1 टिप्पणी:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-10-2016) के चर्चा मंच "डाकिया दाल लाया" {चर्चा अंक- 2500} पर भी होगी!
    करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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