212 212 212
रुख से जुल्फें हटाया करों ।
तुम नज़र यूं ही आया करो ।।
खत्म हो जायेगी तीरगी ।
तीर हँसकर चलाया करो ।।
चाँद पर हक़ हमारा भी है ।
अब तो नज़रें मिलाया करो ।।
है अना ही अना चार सू ।
जुल्म इतना न ढाया करो ।।
कर दो आबाद कोई चमन ।
खुशबुओं को लुटाया करो।।
बारहा जिद ये अच्छी नही ।
बात कुछ मान जाया करो ।।
गो ये सच है की मजबूर हूँ ।
आइना मत दिखाया करो ।।
है ज़रूरी तो जाओ मगर ।
वक्त पर लौट आया करो ।।
बेवफा मत कहो तुम उसे ।
साथ तुम भी निभाया करो।।
जिंदगी का भरोसा ही क्या ।
दिल किसी से लगाया करो ।।
सो न जाए कहीं हुस्न ये ।
इश्क को तुम बुलाया करो ।।
जख़्म रोशन रहे उम्र भर ।
बिजलियाँ कुछ गिराया करो ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
रुख से जुल्फें हटाया करों ।
तुम नज़र यूं ही आया करो ।।
खत्म हो जायेगी तीरगी ।
तीर हँसकर चलाया करो ।।
चाँद पर हक़ हमारा भी है ।
अब तो नज़रें मिलाया करो ।।
है अना ही अना चार सू ।
जुल्म इतना न ढाया करो ।।
कर दो आबाद कोई चमन ।
खुशबुओं को लुटाया करो।।
बारहा जिद ये अच्छी नही ।
बात कुछ मान जाया करो ।।
गो ये सच है की मजबूर हूँ ।
आइना मत दिखाया करो ।।
है ज़रूरी तो जाओ मगर ।
वक्त पर लौट आया करो ।।
बेवफा मत कहो तुम उसे ।
साथ तुम भी निभाया करो।।
जिंदगी का भरोसा ही क्या ।
दिल किसी से लगाया करो ।।
सो न जाए कहीं हुस्न ये ।
इश्क को तुम बुलाया करो ।।
जख़्म रोशन रहे उम्र भर ।
बिजलियाँ कुछ गिराया करो ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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