2122 2122
तुम मिली थी सादगी से ।
याद है चेहरा तभी से ।।
जिक्र आया फिर उसी का ।
जब गया उसकी गली से ।।
बादलों का यूं घुमड़ना ।
है जमीं की तिश्नगी से ।।
यूं मुकद्दर आजमाइश ।
कर गई फ़ितरत ख़ुशी से ।।
गीत भंवरा गुनगुनाया ।
आ गई खुशबू कली से ।।
मैकशोंका क्या भरोसा ।
वास्ता बस मैकशी से ।।
सिर्फ राधा ढ़ूढ़ते हो ।
क्या गिला है रुक्मिणी से ।।
जोड़ता है रोज मकसद ।
आदमी को आदमी से ।।
ख्वाब यूं टूटे न मेरा ।
डर गया हूँ रोशनी से ।।
वह हवा की बेरुखी थी ।
क्यों शिकायत ओढ़नी से ।।
चुन लिया उल्फ़त को मैंने ।
इक तुम्हारी पेशगी से ।।
लौट आया है तबस्सुम ।
फिर तेरी दरिया दिली से ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
तुम मिली थी सादगी से ।
याद है चेहरा तभी से ।।
जिक्र आया फिर उसी का ।
जब गया उसकी गली से ।।
बादलों का यूं घुमड़ना ।
है जमीं की तिश्नगी से ।।
यूं मुकद्दर आजमाइश ।
कर गई फ़ितरत ख़ुशी से ।।
गीत भंवरा गुनगुनाया ।
आ गई खुशबू कली से ।।
मैकशोंका क्या भरोसा ।
वास्ता बस मैकशी से ।।
सिर्फ राधा ढ़ूढ़ते हो ।
क्या गिला है रुक्मिणी से ।।
जोड़ता है रोज मकसद ।
आदमी को आदमी से ।।
ख्वाब यूं टूटे न मेरा ।
डर गया हूँ रोशनी से ।।
वह हवा की बेरुखी थी ।
क्यों शिकायत ओढ़नी से ।।
चुन लिया उल्फ़त को मैंने ।
इक तुम्हारी पेशगी से ।।
लौट आया है तबस्सुम ।
फिर तेरी दरिया दिली से ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
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