2122 1122 1122 22
मुद्दतों बाद तुझे हद से गुज़ारा किसने ।
कर दिया हुस्न को आँखों से इशारा किसने ।।
खास मकसद को लिए लोग यहां मिलते हैं ।
फिर किया आज मुहब्बत से किनारा किसने ।।
आज महबूब के आने की खबर है शायद ।
उलझे गेसू थे कई बार संवारा किसने ।।
ऐ जमीं दिल की निशानी को सलामत रखना ।
मेरी ताबूत पे लिक्खा है ये नारा किसने ।।
हो गया था मैं फ़ना वस्ल की ख्वाहिश लेकर ।
चैन आया ही नहीं दिल से पुकारा किसने ।।
चोट गहरी थी मगर तुझसे शिकायत इतनी ।
जख़्म सीने का मिरे और उभारा किसने ।।
आइना तोड़ तो डाला है बड़ी शिद्दत में ।
तेरे चेहरे पे किया आज नज़ारा किसने ।।
इश्क़ छुपता है कहाँ लाख छुपा कर देखो ।
चन्द रातों में तुझे खूब निखारा किसने ।।
भूल जाने का तमाशा है तेरी फ़ितरत में ।
अक्स मेरा था वो कागज़ पे उतारा किसने ।।
फैसले सोच समझकर तो किया करआलिम ।
कह दिया तुम से अभी तक हूँ कुँआरा किसने ।।
टूट जाते हैं भरम सच से अदावत करके ।
ढूढ़ पाया है यहां दिन में सितारा किसने ।।
डूब जाता है मुकम्मल वो नज़र में तेरी ।
गम ए उल्फत को दिया खूब सहारा किसने ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मुद्दतों बाद तुझे हद से गुज़ारा किसने ।
कर दिया हुस्न को आँखों से इशारा किसने ।।
खास मकसद को लिए लोग यहां मिलते हैं ।
फिर किया आज मुहब्बत से किनारा किसने ।।
आज महबूब के आने की खबर है शायद ।
उलझे गेसू थे कई बार संवारा किसने ।।
ऐ जमीं दिल की निशानी को सलामत रखना ।
मेरी ताबूत पे लिक्खा है ये नारा किसने ।।
हो गया था मैं फ़ना वस्ल की ख्वाहिश लेकर ।
चैन आया ही नहीं दिल से पुकारा किसने ।।
चोट गहरी थी मगर तुझसे शिकायत इतनी ।
जख़्म सीने का मिरे और उभारा किसने ।।
आइना तोड़ तो डाला है बड़ी शिद्दत में ।
तेरे चेहरे पे किया आज नज़ारा किसने ।।
इश्क़ छुपता है कहाँ लाख छुपा कर देखो ।
चन्द रातों में तुझे खूब निखारा किसने ।।
भूल जाने का तमाशा है तेरी फ़ितरत में ।
अक्स मेरा था वो कागज़ पे उतारा किसने ।।
फैसले सोच समझकर तो किया करआलिम ।
कह दिया तुम से अभी तक हूँ कुँआरा किसने ।।
टूट जाते हैं भरम सच से अदावत करके ।
ढूढ़ पाया है यहां दिन में सितारा किसने ।।
डूब जाता है मुकम्मल वो नज़र में तेरी ।
गम ए उल्फत को दिया खूब सहारा किसने ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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