तीखी कलम से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

मुक्तक की दहलीज से

तेरी पाजेब की घुघरू ने दिल से  कुछ कहा होगा.|
लबों ने बंदिशों के शख्त पहरों को सहा होगा ||

यहाँ गुजरी हैं रातें किस कदर पूछो ना तुम हम से |
तसव्वुर में तेरी तश्वीर का हाले बयाँ होगा ||

यहाँ ढूढ़ा वहाँ ढूँढा ना जाने किस जहाँ ढूँढा  |
किसी बेदर्द हाकिम से गुनाहों की सजा ढूँढा ||
वफाओं के परिंदे उड़ गये हैं इस जहाँ से अब |
जालिमों के चमन में मैंने कातिल का पता ढूँढा ||

शमाँ रंगीन है फिर से गुले गुलफाम हो जाओ  |
मोहब्बत के लिए दिल से कभी बदनाम हो जाओ ||
चुभन का दर्द कैसा है जख्म तस्लीम कर देगा || 
वक्त की इस अदा पे तुम भी कत्ले आम हो जाओ ||

ये साकी की शराफत थी जाम को कम दिया होगा |
तुम्हारी आँख की लाली को उसने पढ़ लिया होगा ||
बहुत खामोशियों से मत पियो ऐसी शराबों को |
छलकती हैं ये आँखों से कलेजा जल गया होगा ||
                                                       नवीन  

13 टिप्‍पणियां:

  1. भाई नवीन जी आपसे आपके ब्लॉग से और आपकी रचनाओं से परिचय अच्छा लगा |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खामोशियों से मत पियो ऐसी शराबों को |
    छलकती हैं ये आँखों से कलेजा जल गया होगा ||
    वाह! खूबसरत मुक्तक...
    सादर बधाई नवीन भाई जी...

    जवाब देंहटाएं
  3. शमाँ रंगीन है फिर से गुले गुलफाम हो जाओ |
    मोहब्बत के लिए दिल से कभी बदनाम हो जाओ ||
    चुभन का दर्द कैसा है जख्म तस्लीम कर देगा ||
    वक्त की इस अदा पे तुम भी कत्ले आम हो जाओ ||
    sunder bhav
    badhai aapko
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  4. ये साकी की शराफत थी जाम को कम दिया होगा |
    तुम्हारी आँख की लाली को उसने पढ़ लिया होगा ||
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया ... सुंदर ,प्रभावित करती पंक्तियाँ

    जवाब देंहटाएं
  7. भावों से नाजुक शब्‍द......बेजोड़ भावाभियक्ति....

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. ये साकी की शराफत थी जाम को कम दिया होगा |
    तुम्हारी आँख की लाली को उसने पढ़ लिया होगा ||
    बहुत खामोशियों से मत पियो ऐसी शराबों को |
    छलकती हैं ये आँखों से कलेजा जल गया होगा ||

    वाह, वाह ,वाह !!!!हसीन तरीन लाजवाब, बेमिसाल

    जवाब देंहटाएं