तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

बुधवार, 30 नवंबर 2011

मीत बन के कहानी बुनो तो सही

मीत बन  के  कहानी  बुनो   तो   सही |
तुम हृदय से हृदय  में  घुलो  तो  सही || 

स्वर जगा दूंगा होठों से सरगम  का मै|
बांसुरी बन के मुझको मिलो  तो  सही ||

पुष्प    राहों   में   तेरे   बिखर   जायेंगे |
दो  कदम   साथ   मेरे  चलो  तो  सही ||

तार   उलझे   हुए  जो   सुलझ  जायेंगे |
जिन्दगी  की  लिए  तुम ढलो तो सही ||

कब  तलक  बर्फ  बन  के जमोगे यहाँ ?
इस प्रणय अग्नि में कुछ गलो तो सही ||


जिन्दगी   के  अंधेरों  से  लड़  लूँगा  मैं |
एक  बाती  की  लव  बन जलो तो सही ||
                                                            -नवीन

21 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह बहुत ख़ूबसूरत ग़ाज़ल लिखी है आपने त्रिपाठी जी!

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  3. स्वर जगा दूंगा होठों से सरगम का मै|
    बांसुरी बन के मुझको मिलो तो सही ||

    जिन्दगी के अंधेरों से लड़ लूँगा मैं |
    एक बाती की लव बन जलो तो सही ||

    बहुत सुन्दर गज़ल

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  4. सहज प्रवाह ...
    बधाई और शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  5. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  6. स्वर जगा दूंगा होठों से सरगम का मै|
    बांसुरी बन के मुझको मिलो तो सही ||

    बेहतरीन गज़ल

    इस पोस्ट पर मैंने पहले भी टिप्पणी भेजी थी किन्तु उसे यहाँ न देख फिर से टिप्पणी भेज रही हूँ

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  7. जिन्दगी के अंधेरों से लड़ लूँगा मैं |
    एक बाती की लव बन जलो तो सही ||
    नवीन जी ,
    आपके मन से निकले उदगार बहुत ही सुंदर हैं । मेरी कामना है कि आप निरंतर लिखते रहें । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

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  8. मीत बन के कहानी बुनो तो सही | bahut sundar ...

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  9. अच्छी गज़ल नवीन भाई जी...
    सादर बधाई...

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  10. तार उलझे हुए जो सुलझ जायेंगे |
    जिन्दगी की लिए तुम ढलो तो सही ||
    kamal ati sunder
    badhai

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  11. aapki sari kavitaye ham pdh lenge
    aap yoon hi likhte rahiye to sahi....
    umda prastuti

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  12. इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।

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  13. नाम राशि जी, नमस्कार। आप के ब्लॉग पर आज घुमक्कड़ी की। रचनाधर्मिता के प्रति आप का समर्पण सराहनीय है।

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  14. बहुत सुन्दर....
    प्यारी रचना.
    सादर.

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    1. बहुत दिनों के बाद आप दिखीं ,लेकिन आपके पोस्ट-ब्लॉग नहीं दिख रहे .... ??

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  15. आप के मन-मुराद पूरे हो
    संग्रहनीय रचना
    शुभकामनायें !!

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