मैंने ग़ज़ल लिखी है , तेरे यादगार की |
तश्वीर पुरानी है , खिजां के बहार की ||
मौसम ने गुलिश्तां को भिगोया था बहुत खूब |
साजिश रची गयी तेरे पुरवा बयार की ||
दिल थम के वो रोया ना आशिक मिजाज था |
अश्कों ने कहानी लिखी थी तेरे प्यार की ||
लिखा जो नाम रेट पे पहचान की खातिर |
लहरें बहा के ले गयीँ , पानी के धार की ||
दिल के बाज़ार में तो मैं, आया था नाज़ से |
कीमत लगाई तूने मेरे बेक़रार की ||
-नवीन
तश्वीर पुरानी है , खिजां के बहार की ||
मौसम ने गुलिश्तां को भिगोया था बहुत खूब |
साजिश रची गयी तेरे पुरवा बयार की ||
दिल थम के वो रोया ना आशिक मिजाज था |
अश्कों ने कहानी लिखी थी तेरे प्यार की ||
लिखा जो नाम रेट पे पहचान की खातिर |
लहरें बहा के ले गयीँ , पानी के धार की ||
दिल के बाज़ार में तो मैं, आया था नाज़ से |
कीमत लगाई तूने मेरे बेक़रार की ||
-नवीन
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