नोच नोच खाने को तैयार बैठा ड्रैगन आज ,भारती के पूत तुम भारती को शान दो |
स्वाभिमान रोज रोज रौंद रहा चीन आज ,देश की अखंडता को फिर से उकार दो ||
आँख जो उठा के देश की प्रचंडता को , अपना तिरंगा तुम पेइचिंग में गाड दो |
छदम वेष धारी बन बैठा है नीच दुष्ट ,लालची को आज तुम शेर सा दहाड़ दो ||
कारगिल युद्ध का प्रणेता बन बैठा था वो, चोर जैसे मुखड़े पे जोर सा प्रहार दो |
खिसियानी बिल्ली जैसा आचरण करता है खंड खंड कर के घमंड को सूधार दो ||
ईर्ष्यालु देश है तुम्हारी ही प्रगति से वो , अपनी प्रगति कर उसको उजाड़ दो |
लोक तंत्र बीज के ही अस्त्र से करो प्रहार ,चाइना के एक एक प्रान्त को भी फाड़ दो ||
छदम युद्ध कश्मीर में ही लड़ता रहा वो ,.ऐसे धूर्त वादियों को विश्व में उछल दो |
बाल भी ना बांका कर पाया है वहन पे आज,ऐसे नीच राष्ट्र को तुम हर की मिशाल दो ||
दृष्टि जो उठाये माता भारती की लाज पर, भीम बन दुशाशन की आँख भी निकल लो |
बन्दर जैसी घुड़की दिखाए किसी और को वो ,शक्ति देश हो तुम शक्ति का प्रमाण दो ||
ताना शाही देश का प्रतीक बन बैठा है वह , विस्तारवादी की प्रपंचना को काट दो |
सारे ही पड़ोसियों का शत्रु बन बैठा है वह ,कूटनीतिवादियों के पंख को उखाड़ दो ||
परमाणु बम से भी डरते नहीं हैं हम अग्नि के शोलों का ना कोई इम्तहान लो |
राख हो भी जायेगा तुम्हारा राष्ट्र याद रखो , भारतीय शक्ति को ना कोई शंखनाद दो ||
अग्नि परीक्षा है आयुधों के पूत आज ,आपने जवान को भी शस्त्र विकराल दो |
अपनी परम्परा को टूटने ना देना कभी , जज्बा है जीत का ये इसको मसाल दो ||
इतना बनना गोले राष्ट्र के लिए तुम आज बीजिंग जैसे शहर को गोलों से ही पट दो |
आयुध निर्माणी का पताका कर दो अमर ,आयुधों के पूत आज देश को सम्हाल लो ||
स्वाभिमान रोज रोज रौंद रहा चीन आज ,देश की अखंडता को फिर से उकार दो ||
आँख जो उठा के देश की प्रचंडता को , अपना तिरंगा तुम पेइचिंग में गाड दो |
छदम वेष धारी बन बैठा है नीच दुष्ट ,लालची को आज तुम शेर सा दहाड़ दो ||
कारगिल युद्ध का प्रणेता बन बैठा था वो, चोर जैसे मुखड़े पे जोर सा प्रहार दो |
खिसियानी बिल्ली जैसा आचरण करता है खंड खंड कर के घमंड को सूधार दो ||
ईर्ष्यालु देश है तुम्हारी ही प्रगति से वो , अपनी प्रगति कर उसको उजाड़ दो |
लोक तंत्र बीज के ही अस्त्र से करो प्रहार ,चाइना के एक एक प्रान्त को भी फाड़ दो ||
छदम युद्ध कश्मीर में ही लड़ता रहा वो ,.ऐसे धूर्त वादियों को विश्व में उछल दो |
बाल भी ना बांका कर पाया है वहन पे आज,ऐसे नीच राष्ट्र को तुम हर की मिशाल दो ||
दृष्टि जो उठाये माता भारती की लाज पर, भीम बन दुशाशन की आँख भी निकल लो |
बन्दर जैसी घुड़की दिखाए किसी और को वो ,शक्ति देश हो तुम शक्ति का प्रमाण दो ||
ताना शाही देश का प्रतीक बन बैठा है वह , विस्तारवादी की प्रपंचना को काट दो |
सारे ही पड़ोसियों का शत्रु बन बैठा है वह ,कूटनीतिवादियों के पंख को उखाड़ दो ||
परमाणु बम से भी डरते नहीं हैं हम अग्नि के शोलों का ना कोई इम्तहान लो |
राख हो भी जायेगा तुम्हारा राष्ट्र याद रखो , भारतीय शक्ति को ना कोई शंखनाद दो ||
अग्नि परीक्षा है आयुधों के पूत आज ,आपने जवान को भी शस्त्र विकराल दो |
अपनी परम्परा को टूटने ना देना कभी , जज्बा है जीत का ये इसको मसाल दो ||
इतना बनना गोले राष्ट्र के लिए तुम आज बीजिंग जैसे शहर को गोलों से ही पट दो |
आयुध निर्माणी का पताका कर दो अमर ,आयुधों के पूत आज देश को सम्हाल लो ||
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