मैंने ग़ज़ल लिखी है तेरे यादगार की |
तश्वीर पुरानी है , खिजांए बहार की ||
मौसम ने गुलिस्तां को भिगोया था बहुत खूब |
साजिस रची गयी तेरे पुरवा बयार की ||
दिल थाम के रोया न मैं आशिक मिजाज था |
अश्कों ने कहानी लिखी थी तेरे प्यार की ||
लिक्खा जो नाम रेत पे पहचान की खातिर|
लहरें बहा के ले गईं अरमान यार की ||
दिल के बाज़ार में तो मैं आया था शान से |
कीमत लगाई तू ने मेरे बे करार की || -नवीन
अरे वाह! क्या ख़ूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल वाह!
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंलिक्खा जो नाम तेरा रेत पे पहचान की खातिर
जवाब देंहटाएंलहरेम बहा के ले गईं,अरमान यार की
खूब लिखा.
सुन्दर गज़ल नवीन भाई...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
मौसम ने गुलिस्तां को भिगोया था बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंसाजिस रची गयी तेरे पुरवा बयार की ||
बढ़िया लिखा है