तेरी आँखों में ......
ग़ज़ल की तश्नगी जरूर तेरी आँखों में |
मीठे एहसास का सरूर तेरी आँखों में ||
आइना ने अक्स , जब तुझको दिखाया |
बे अदब आ गया , गुरूर तेरी आँखों में ||
नज़र नज़र से मिली मुश्किलों के बाद मगर |
खास तश्वीर लगी दूर तेरी आँखों में ||
सुबूत दिल ने दिया दिल के सबब से तुमको |
है बेवफाई का फितूर तेरी आँखों में ||
जाम छलके भी हैं अक्सर यहाँ सलीके बिन |
मगर है कीमती सहूर तेरी आँखों में ||
तलाश मंजिलों के आस पास से गुजरी |
मिली वो जन्नतों की हूर तेरी आँखों में ||
जुल्फें हर वक्त क़यामत का जुल्म ढाती हैं |
लाल डोरे भी हैं मशहूर तेरी आँखों में ||
दुआ मांगी थी जो मौला से मोहब्बत खातिर |
नफरतें आयी थीं भरपूर तेरी आँखों में ||
हार कर बैठ गया था मैं अधेरों से यहाँ |
पा गया जिंदगी का नूर तेरी आँखों में ||
छुपा छुपा के जतन लाख कर लिया तुमने |
बे पर्दा इश्क है हुजूर, तेरी आँखों में ||
जब भी तनहा हुए, यादों के समंदर में गिरे |
अश्क ढलने लगे मजबूर तेरी आँखों में ||
हो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
दिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||
नवीन
ग़ज़ल की तश्नगी जरूर तेरी आँखों में |
मीठे एहसास का सरूर तेरी आँखों में ||
आइना ने अक्स , जब तुझको दिखाया |
बे अदब आ गया , गुरूर तेरी आँखों में ||
नज़र नज़र से मिली मुश्किलों के बाद मगर |
खास तश्वीर लगी दूर तेरी आँखों में ||
सुबूत दिल ने दिया दिल के सबब से तुमको |
है बेवफाई का फितूर तेरी आँखों में ||
जाम छलके भी हैं अक्सर यहाँ सलीके बिन |
मगर है कीमती सहूर तेरी आँखों में ||
तलाश मंजिलों के आस पास से गुजरी |
मिली वो जन्नतों की हूर तेरी आँखों में ||
जुल्फें हर वक्त क़यामत का जुल्म ढाती हैं |
लाल डोरे भी हैं मशहूर तेरी आँखों में ||
दुआ मांगी थी जो मौला से मोहब्बत खातिर |
नफरतें आयी थीं भरपूर तेरी आँखों में ||
हार कर बैठ गया था मैं अधेरों से यहाँ |
पा गया जिंदगी का नूर तेरी आँखों में ||
छुपा छुपा के जतन लाख कर लिया तुमने |
बे पर्दा इश्क है हुजूर, तेरी आँखों में ||
जब भी तनहा हुए, यादों के समंदर में गिरे |
अश्क ढलने लगे मजबूर तेरी आँखों में ||
हो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
दिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||
नवीन
आपके ब्लॉग के रंग बहुत तेज़ हैं ..थोडा माध्यम कीजिये..
जवाब देंहटाएंआँखों आँखों में बात होने दो,...बेहतरीन,लाजबाब,गजल,
जवाब देंहटाएंनवीन जी कमाल का लिखा आपने,.....
my new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
दिखा कोई मुद्दा मशहूर तेरी आँखों में
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhayvad pandey ji .....mudda hi jeevan hai.
हटाएंवाह जी वाह
जवाब देंहटाएंमीर इन नीम बाज़ आँखों में , सारी मस्ती शराब की सी है ..... बहुत खूब लिखा है नवीन जी , कुसूर अंकों का और सजा दिल को मिलाती है ...
जवाब देंहटाएंहो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
जवाब देंहटाएंदिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति........
आँखों की सटीक प्रस्तुति के लिये बधाई.......
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े-
नेता, कुत्ता और वेश्या
तलाश मंजिलों के आस पास से गुजरी |
जवाब देंहटाएंमिली वो जन्नतों की हूर तेरी आँखों में ||
तौबा ...!
मिली भी तो आँखों में ...
पर हूर परियां मंजिलों के आस पास नहीं रहतीं ....
सुना है समंदर से निकल कर आती हैं ....तो वहीँ तलाश करते न ....:))
ये आखें ही मिलाती हैं जमाने में दिलों को
अनजान हैं हम-तुम अगर अनजान हैं आखें .....
ग़ज़ल की तश्नगी जरूर तेरी आँखों में |
जवाब देंहटाएंमीठे एहसास का सरूर तेरी आँखों में ||
आइना ने अक्स , जब तुझको दिखाया |
बे अदब आ गया , गुरूर तेरी आँखों में ||
नज़र नज़र से मिली मुश्किलों के बाद मगर |
खास तश्वीर लगी दूर तेरी आँखों में ||............bahut hi khoobsurat gajal .
हो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
जवाब देंहटाएंदिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||
वाह!! बहुत उम्दा!!
हो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
जवाब देंहटाएंदिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||
खूबसूरत गज़ल...!
कई रचनाएं पढ़ी....
विविधता है आपकी तीखी कलम में...
मेरे ब्लॉग तक आने का शुक्रिया.....
हार कर बैठ गया था मैं अधेरों से यहाँ |
जवाब देंहटाएंपा गया जिंदगी का नूर तेरी आँखों में ||
Bahut hi Sunder
हो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
जवाब देंहटाएंदिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||
badhiya har pankti ......
वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और बेहतरीन प्रस्तुति ..
बहुत सुंदर खयाल और अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतलाश मंजिलों के आस पास से गुजरी |
जवाब देंहटाएंमिली वो जन्नतों की हूर तेरी आँखों में ||
अंदाज़ आपके बड़े अलग हैं ज़नाब ,हैं बड़े खूबसूरत आपके लबों जैसे ...बहुत बढ़िया ग़ज़ल है .है शेर उम्दा .
खूब शेर कह रहे हैं,नवीन भाई.
जवाब देंहटाएंपढ़कर अच्छा लगा.
शानदार गज़ल नवीन जी. इस अश'आर पर खासतौर से दाद कुबूल फरमायें-
जवाब देंहटाएंजुल्फें हर वक्त क़यामत का जुल्म ढाती हैं |
लाल डोरे भी हैं मशहूर तेरी आँखों में ||
हार कर बैठ गया था मैं अधेरों से यहाँ ,
जवाब देंहटाएंपा गया जिंदगी का नूर तेरी आँखों में ।
खूबसूरत ग़ज़ल का खूबसूरत शेर।
त्रिपाठी जी, दाद कबूल फरमाएं।
आज 05/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
subhaan allah ....vaah vaah kya baat hai maja aa gaya aapki ghazal padhkar.
जवाब देंहटाएंजाम छलके भी हैं अक्सर यहाँ सलीके बिन |
जवाब देंहटाएंमगर है कीमती सहूर तेरी आँखों में ||... तो बेसलीका भी भा जाता है , वाह !
आइना ने अक्स , जब तुझको दिखाया
जवाब देंहटाएंबे अदब आ गया , गुरूर तेरी आँखों में ...
हसीनों की इस आदत को बाखूबी बयान किया है इस शेर के माध्यम से ...
सुभान अल्ला ... दाद कबूल करें ...
//दुआ मांगी थी जो मौला से मोहब्बत खातिर |
जवाब देंहटाएंनफरतें आयी थीं भरपूर तेरी आँखों में ||
//छुपा छुपा के जतन लाख कर लिया तुमने |
बे पर्दा इश्क है हुजूर, तेरी आँखों में ||
behtareen sirji.. kamaal k sher :)
छुपा छुपा के जतन लाख कर लिया तुमने |
जवाब देंहटाएंबे पर्दा इश्क है हुजूर, तेरी आँखों में ||
पूरा माहौल इश्किया कर डाला इस बेहतरीन प्रस्तुति से. बधाई.
जाम छलके भी हैं अक्सर यहाँ सलीके बिन |
जवाब देंहटाएंमगर है कीमती सहूर तेरी आँखों में ||.
..bahut khoob kahi aapne
गज़ाला की आँखें जो न करे सो कम है :)
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल..
बधाई.
अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।
जवाब देंहटाएंआंखों में ही संसार दिखता है,देखने की नज़र चाहिये.
हटाएंआइना ने अक्स , जब तुझको दिखाया |
जवाब देंहटाएंबे अदब आ गया , गुरूर तेरी आँखों में ||
अच्छी गज़ल
कमाल नज़्म लिखा है आपने ..बहुत अच्छी लगी..
जवाब देंहटाएंतभी,हमारी हिम्मत नहीं होती मिलाने की!
जवाब देंहटाएंकमाल का लेखन है ...बहुत बढ़िया लिखा है ...
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...!!
ap likhte rahiye ....abhi man nahi bhara.....bahut sundar
जवाब देंहटाएंहो के बेचैन जब मैं तुझको भूलना चाहा |
जवाब देंहटाएंदिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में ||
वाह!...वाह!...मजा आ गया!
puri rachna hi bahut sundar hai,ye panktiyaan mujhe vishesh pasnd aaeen.....हार कर बैठ गया था मैं अधेरों से यहाँ |
जवाब देंहटाएंपा गया जिंदगी का नूर तेरी आँखों में ||
सुबूत दिल ने दिया दिल के सबब से तुमको |
जवाब देंहटाएंहै बेवफाई का फितूर तेरी आँखों में ||
Wah!
छुपा छुपा के जतन लाख कर लिया तुमने |
जवाब देंहटाएंबे पर्दा इश्क है हुजूर, तेरी आँखों में ||waah.....bahut achcha.
छुपा छुपा के जतन लाख कर लिया तुमने |
जवाब देंहटाएंबे पर्दा इश्क है हुजूर, तेरी आँखों में ||
wah lajavab
rachana
वाह ...बहुत खूब सभी एक से बढ़कर एक हैं आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें !
सुन्दर भाव संयोजन सुन्दर गज़ल |
जवाब देंहटाएंap sabhi logon ko sadar dhanyvad
जवाब देंहटाएं