सावधान पाकिस्तान !
निर्दोषों का लहू पुकारे , अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
चुन चुन कर तुम खूब भेजते, आतंकी की फ़ौज यहाँ ।
बिना मौत मारे जाते हैं, तेरे विषधर रोज यहाँ ।।
घोर निराशा अंधकार में, पहुँच चुका आतंक तेरा ।
फौलादी हैं अमन इरादे , पस्त हुआ ये डंक तेरा ।।
छल दंभ द्वेष पाखण्ड ईंट की नीव बनाई है तुमने ।
झूठ राग व गहन कुटिलता को अपनाई है तुमने ।।
लादेन की मौत पे नंगा , विश्व पटल पर नाचा था ।
धूल झोकने वाले का तो निकल चुका दीवाला था ।।
फिर कसाब की फांसी पर क्यों तुमको शर्म नहीं आयी ।
तेरा भेजा आतंकी था, तेरी लाज न बच पायी ।।
अजहर दाउद व हाफिज का तू ही पालनकर्ता है ।
दिल्ली हो कंधार मुंबई, दहशत गर्द प्रणेता है ।।
अग्नि बीज बोया है तुमने अब तुमको जलना होगा ।
अंगारों पर चलने का तो स्वाद तुम्हें चखना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे , तो हिसाब करना होगा ।।
* * * * * * *
तालिबान को पाल - पोश कर , सर्प बनाने वाले हो ।
अमेरिका के निर्दोषों को तुम मरवाने वाले हो ।।
तुम पंजाबी अमन चैन के खून खराबा वाले हो ।
करगिल काली करतूतों से जान बचाकर भागे हो ।।
यहाँ मुंबई बम कांड के साजिश रचने वाले हो ।
होटल ताज जलाने वाले कितने दिल के काले हो ??
लोकतंत्र के भक्षक हो तुम संसद के हमलावर हो ।
पीठ दिखा कर जाने वाले इकहत्तर के धावक हो ।।
बेशर्मी की ताज पहन कर राज करोगे क्या अब तुम ।
विश्व समझता खूब है तुमको सीधी हो जायेगी दुम ।।
तुम दुनियां को ठगने वाले नीति भ्रष्ट नियंता हो ।
धोखेबाजी है नस नस में क्रूर सत्य के हन्ता हो ।।
राक्षस हो तुम मानवता के अब तुमको मरना होगा ।
सत्य अहिंसा की शक्ति से तिल तिल क्र जलना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे , अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
* * * * * *
पाक तेरे नापाक इरादों से भारत भी वाकिफ है ।
पाप तुम्हारा सर चढ़ बोले दंड मिले अब वाजिब है ।।
लोकतंत्र को डसने वाले आडम्बर क्यों करते हो ।
खोल फैक्ट्री आतंकी की चाल फरेबी चलते हो ।।
विध्वंसक है नीति तुम्हारी मानवता अपराधी हो ।
हाथ रंगा मासूम रक्त से दुनियां के संतापी हो ।।
हाय लगी है मानवता की नष्ट भ्रष्ट हो जाओगे ।
कायरता वाली करनी से अस्त सदा हो जाओगे ।।
कश्मीर है भारत का सिरमौर समझ ले आज अभी ।
देर हुई तो पायेगा रावलपिंडी खो गया कहीं ।।
हमें बलूच पंजाब प्रान्त को देश बनाना आता है ।
दुश्मन को दुश्मन की भाषा में समझाना आता है ।।
भारत के हर अपराधी को अब तुमको देना होगा ।
भारत माँ के शर्तों पर ही अब जीवन जीना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे ,अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
* * * * *
विश्व तुम्हारी कायरता को हैरत से अब देख रहा ।
तेरे घृणित कारनामो पर जी भर तुमको कोस रहा ।।
छ्दम युद्ध आतंक सहारे कुछ बिगाड़ न पाओगे ।
लक्ष्मण रेखा पार करोगे स्वयं भस्म हो जाओगे ।।
तेरे स्वागत की खातिर बारूद बिछाए बैठे हैं ।
बम परमाणु के निशान पर तुमको लाये बैठे हैं ।।
तेरी गीदड़ भभकी से अब कोई फर्क नहीं पड़ता ।
बातों के हो भूत नही लातों से जाती है जड़ता ।।
पलक झपकते मानचित्र से तू गायब हो जाएगा ।
तेरी करनी ले डूबेगी शांति मार्ग खो जायेगा ।।
तेरा सारा अहंकार सब यहाँ धरा रह जाएगा ।
आतंकी का राष्ट्र सदा के लिए खाक हो जायेगा ।।
एक एक लाशों का कर्जा ब्याज सहित भरना होगा ।
काश्मीर का बाकी हिस्सा भारत को देना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे , अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
प्रस्तुति - नवीन मणि त्रिपाठी
निर्दोषों का लहू पुकारे , अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
चुन चुन कर तुम खूब भेजते, आतंकी की फ़ौज यहाँ ।
बिना मौत मारे जाते हैं, तेरे विषधर रोज यहाँ ।।
घोर निराशा अंधकार में, पहुँच चुका आतंक तेरा ।
फौलादी हैं अमन इरादे , पस्त हुआ ये डंक तेरा ।।
छल दंभ द्वेष पाखण्ड ईंट की नीव बनाई है तुमने ।
झूठ राग व गहन कुटिलता को अपनाई है तुमने ।।
लादेन की मौत पे नंगा , विश्व पटल पर नाचा था ।
धूल झोकने वाले का तो निकल चुका दीवाला था ।।
फिर कसाब की फांसी पर क्यों तुमको शर्म नहीं आयी ।
तेरा भेजा आतंकी था, तेरी लाज न बच पायी ।।
अजहर दाउद व हाफिज का तू ही पालनकर्ता है ।
दिल्ली हो कंधार मुंबई, दहशत गर्द प्रणेता है ।।
अग्नि बीज बोया है तुमने अब तुमको जलना होगा ।
अंगारों पर चलने का तो स्वाद तुम्हें चखना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे , तो हिसाब करना होगा ।।
* * * * * * *
तालिबान को पाल - पोश कर , सर्प बनाने वाले हो ।
अमेरिका के निर्दोषों को तुम मरवाने वाले हो ।।
तुम पंजाबी अमन चैन के खून खराबा वाले हो ।
करगिल काली करतूतों से जान बचाकर भागे हो ।।
यहाँ मुंबई बम कांड के साजिश रचने वाले हो ।
होटल ताज जलाने वाले कितने दिल के काले हो ??
लोकतंत्र के भक्षक हो तुम संसद के हमलावर हो ।
पीठ दिखा कर जाने वाले इकहत्तर के धावक हो ।।
बेशर्मी की ताज पहन कर राज करोगे क्या अब तुम ।
विश्व समझता खूब है तुमको सीधी हो जायेगी दुम ।।
तुम दुनियां को ठगने वाले नीति भ्रष्ट नियंता हो ।
धोखेबाजी है नस नस में क्रूर सत्य के हन्ता हो ।।
राक्षस हो तुम मानवता के अब तुमको मरना होगा ।
सत्य अहिंसा की शक्ति से तिल तिल क्र जलना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे , अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
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पाक तेरे नापाक इरादों से भारत भी वाकिफ है ।
पाप तुम्हारा सर चढ़ बोले दंड मिले अब वाजिब है ।।
लोकतंत्र को डसने वाले आडम्बर क्यों करते हो ।
खोल फैक्ट्री आतंकी की चाल फरेबी चलते हो ।।
विध्वंसक है नीति तुम्हारी मानवता अपराधी हो ।
हाथ रंगा मासूम रक्त से दुनियां के संतापी हो ।।
हाय लगी है मानवता की नष्ट भ्रष्ट हो जाओगे ।
कायरता वाली करनी से अस्त सदा हो जाओगे ।।
कश्मीर है भारत का सिरमौर समझ ले आज अभी ।
देर हुई तो पायेगा रावलपिंडी खो गया कहीं ।।
हमें बलूच पंजाब प्रान्त को देश बनाना आता है ।
दुश्मन को दुश्मन की भाषा में समझाना आता है ।।
भारत के हर अपराधी को अब तुमको देना होगा ।
भारत माँ के शर्तों पर ही अब जीवन जीना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे ,अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
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विश्व तुम्हारी कायरता को हैरत से अब देख रहा ।
तेरे घृणित कारनामो पर जी भर तुमको कोस रहा ।।
छ्दम युद्ध आतंक सहारे कुछ बिगाड़ न पाओगे ।
लक्ष्मण रेखा पार करोगे स्वयं भस्म हो जाओगे ।।
तेरे स्वागत की खातिर बारूद बिछाए बैठे हैं ।
बम परमाणु के निशान पर तुमको लाये बैठे हैं ।।
तेरी गीदड़ भभकी से अब कोई फर्क नहीं पड़ता ।
बातों के हो भूत नही लातों से जाती है जड़ता ।।
पलक झपकते मानचित्र से तू गायब हो जाएगा ।
तेरी करनी ले डूबेगी शांति मार्ग खो जायेगा ।।
तेरा सारा अहंकार सब यहाँ धरा रह जाएगा ।
आतंकी का राष्ट्र सदा के लिए खाक हो जायेगा ।।
एक एक लाशों का कर्जा ब्याज सहित भरना होगा ।
काश्मीर का बाकी हिस्सा भारत को देना होगा ।।
निर्दोषों का लहू पुकारे , अब जबाब देना होगा ।
गीदड़ बन कर सर काटोगे, तो हिसाब देना होगा ।।
प्रस्तुति - नवीन मणि त्रिपाठी
आपका आक्रोश भरी फटकार बिलकुल सटीक है -अति उत्तम
जवाब देंहटाएंNew post कुछ पता नहीं !!! ( तृतीय और अंतिम भाग )
New post : शहीद की मज़ार से
namaste naveen ji
हटाएंumda jabaab diya hai aapne lahu ab garm ho gaya hai
josh bharti hui sundar rachna ke liye tahe dil se badhai .
बहुत बढ़िया आदरणीय ||
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंपाक तेरे नापाक इरादों से भारत भी वाकिफ है ।
पाप तुम्हारा सर चढ़ बोले दंड मिले अब वाजिब है ।।
अब यह ज़रूरी हो गया है ।
एक एक शब्द आक्रोशित भाव लिए हुए बहुत सही वीर रस से प्रधान इस बेहतरीन प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंवाह वाह!! क्या सटीक बातें लिखी है आपने गणतन्त्र दिवस के अवसर पर इस से अच्छी जोश भरी प्रस्तुति और कोई हो ही नहीं सकती....बहुत ही प्रभावशाली रचना आभार ....
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंपहली बार आया हूं आप के ब्लाग पर अच्छा लगा
मंगलवार 29/01/2013को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .... !!
धन्यवाद .... !!
बहुत सशक्त पोस्ट .... अतिउत्तम !
जवाब देंहटाएंsarthak rachna
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..सटीक और सार्थक रचना..
जवाब देंहटाएंहर एक पंक्ति में पाकिस्तान को जमकर ललकार लगाई गई है...सुंदर रचना।।
जवाब देंहटाएंत्रिपाठी जी इस जोरदार रचना की बधाई. बिलकुल सटीक बात कही है माँ को खंडित करने वाले लोगो के बारे में.
जवाब देंहटाएंअक्षम्य बातें कैसे भुला दी जायें भला, उद्वेलित करती पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंमन को उद्वेलित करती रचना,,,,बेहतरीन प्रस्तुति,,,नवीन जी,,,
जवाब देंहटाएं..recent post: गुलामी का असर,,,
very inspiring creation.
जवाब देंहटाएंso nice !
जवाब देंहटाएंदेश-वासियों के आक्रोश का प्रतिनिधित्व करती बेह्तरीन रचना
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर ,बढ़िया है
बहुत प्रभावी ... बाजुओं में रवानी दौड़ जाती है ...
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति नव संचार करती ... हुंकार देती ... बेहद लाजवाब ...
जोश से भरी सार्थक रचना ,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया नवीन जी..........
साभार.........