तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

सावधान पाकिस्तान !

                            सावधान पाकिस्तान !



निर्दोषों    का   लहू   पुकारे , अब   जबाब   देना   होगा ।
गीदड़   बन   कर  सर  काटोगे, तो   हिसाब  देना होगा ।।

चुन  चुन  कर  तुम खूब भेजते, आतंकी की  फ़ौज यहाँ ।
बिना  मौत   मारे  जाते  हैं, तेरे   विषधर   रोज   यहाँ ।।

घोर   निराशा  अंधकार  में,  पहुँच   चुका  आतंक  तेरा ।
 फौलादी  हैं  अमन   इरादे , पस्त  हुआ  ये  डंक  तेरा ।।

छल दंभ  द्वेष   पाखण्ड  ईंट   की नीव बनाई है  तुमने ।
झूठ  राग  व  गहन  कुटिलता   को  अपनाई है तुमने ।।

लादेन  की मौत पे नंगा , विश्व  पटल   पर नाचा था ।
धूल  झोकने  वाले  का तो  निकल चुका  दीवाला था ।।

फिर कसाब की फांसी पर क्यों तुमको शर्म नहीं आयी ।
तेरा  भेजा  आतंकी  था,  तेरी  लाज  न   बच   पायी ।।

अजहर  दाउद  व   हाफिज   का  तू  ही   पालनकर्ता है ।
दिल्ली   हो   कंधार   मुंबई,  दहशत   गर्द   प्रणेता  है ।।

अग्नि  बीज   बोया है तुमने अब  तुमको जलना होगा ।
अंगारों  पर  चलने  का  तो  स्वाद  तुम्हें  चखना होगा ।।

निर्दोषों   का   लहू   पुकारे   अब   जबाब   देना  होगा ।
गीदड़  बन  कर  सर  काटोगे , तो हिसाब करना होगा ।।

*     *        *           *              *           *           *

तालिबान  को  पाल - पोश  कर ,  सर्प  बनाने वाले हो ।
अमेरिका  के    निर्दोषों   को  तुम   मरवाने   वाले  हो ।।

तुम  पंजाबी  अमन  चैन  के  खून  खराबा  वाले  हो ।
करगिल  काली  करतूतों  से  जान  बचाकर  भागे हो ।।

यहाँ  मुंबई  बम  कांड  के   साजिश   रचने  वाले  हो ।
होटल  ताज  जलाने  वाले  कितने  दिल  के  काले हो ??

लोकतंत्र  के  भक्षक  हो  तुम  संसद  के  हमलावर हो ।
पीठ  दिखा  कर   जाने वाले   इकहत्तर के  धावक  हो ।।

बेशर्मी की  ताज  पहन  कर  राज  करोगे क्या अब तुम ।
विश्व  समझता खूब  है तुमको  सीधी  हो जायेगी  दुम ।।

तुम दुनियां  को  ठगने  वाले   नीति  भ्रष्ट  नियंता  हो ।
धोखेबाजी  है  नस  नस  में  क्रूर  सत्य  के  हन्ता हो ।।

राक्षस  हो  तुम  मानवता  के अब तुमको मरना  होगा ।
सत्य अहिंसा  की  शक्ति से तिल तिल  क्र जलना होगा ।।

निर्दोषों   का    लहू   पुकारे  , अब  जबाब   देना   होगा ।
गीदड़  बन  कर  सर  काटोगे, तो   हिसाब  देना   होगा ।।

*            *                  *               *              *          *

पाक  तेरे  नापाक   इरादों   से  भारत  भी   वाकिफ   है ।
पाप  तुम्हारा  सर  चढ़  बोले  दंड  मिले अब वाजिब है ।।

लोकतंत्र   को  डसने  वाले  आडम्बर   क्यों  करते   हो ।
खोल   फैक्ट्री   आतंकी  की  चाल   फरेबी  चलते   हो ।।

विध्वंसक  है   नीति   तुम्हारी  मानवता  अपराधी  हो ।
हाथ   रंगा  मासूम  रक्त  से   दुनियां   के  संतापी   हो ।।

हाय  लगी  है   मानवता   की   नष्ट  भ्रष्ट  हो  जाओगे ।
कायरता  वाली  करनी  से  अस्त   सदा   हो  जाओगे ।।

कश्मीर है  भारत का  सिरमौर  समझ  ले  आज अभी ।
देर   हुई    तो   पायेगा   रावलपिंडी   खो   गया  कहीं ।।

हमें  बलूच  पंजाब   प्रान्त  को  देश  बनाना  आता है ।
दुश्मन  को   दुश्मन  की  भाषा  में समझाना आता है ।।

भारत  के  हर  अपराधी  को  अब  तुमको  देना  होगा ।
भारत  माँ   के  शर्तों  पर  ही  अब  जीवन जीना होगा ।।

निर्दोषों    का   लहू  पुकारे ,अब   जबाब   देना   होगा ।
गीदड़  बन  कर  सर  काटोगे, तो   हिसाब  देना होगा ।।

*                *                  *                *             *

विश्व  तुम्हारी  कायरता  को   हैरत  से  अब देख रहा ।
तेरे घृणित कारनामो पर  जी  भर तुमको  कोस  रहा ।।

छ्दम  युद्ध  आतंक  सहारे  कुछ  बिगाड़  न  पाओगे ।
लक्ष्मण  रेखा  पार  करोगे  स्वयं  भस्म  हो जाओगे ।।

तेरे   स्वागत   की   खातिर   बारूद   बिछाए  बैठे  हैं ।
बम  परमाणु  के  निशान  पर  तुमको  लाये  बैठे हैं ।।

तेरी  गीदड़  भभकी  से  अब  कोई  फर्क  नहीं पड़ता ।
बातों  के  हो  भूत  नही  लातों  से  जाती  है  जड़ता ।।

पलक  झपकते  मानचित्र  से  तू  गायब  हो जाएगा ।
तेरी  करनी   ले   डूबेगी  शांति   मार्ग  खो   जायेगा ।।

तेरा   सारा   अहंकार   सब   यहाँ   धरा   रह  जाएगा ।
आतंकी  का  राष्ट्र  सदा  के  लिए  खाक  हो  जायेगा ।।

एक  एक  लाशों  का  कर्जा  ब्याज सहित भरना होगा ।
काश्मीर  का   बाकी  हिस्सा  भारत  को   देना  होगा ।।

निर्दोषों   का   लहू  पुकारे , अब   जबाब   देना   होगा ।
गीदड़  बन  कर  सर  काटोगे, तो   हिसाब  देना होगा ।।



                                                    प्रस्तुति - नवीन मणि त्रिपाठी

20 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. namaste naveen ji
      umda jabaab diya hai aapne lahu ab garm ho gaya hai
      josh bharti hui sundar rachna ke liye tahe dil se badhai .

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  2. सटीक और सार्थक प्रस्तुति ....
    पाक तेरे नापाक इरादों से भारत भी वाकिफ है ।
    पाप तुम्हारा सर चढ़ बोले दंड मिले अब वाजिब है ।।

    अब यह ज़रूरी हो गया है ।

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  3. एक एक शब्द आक्रोशित भाव लिए हुए बहुत सही वीर रस से प्रधान इस बेहतरीन प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई

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  4. वाह वाह!! क्या सटीक बातें लिखी है आपने गणतन्त्र दिवस के अवसर पर इस से अच्छी जोश भरी प्रस्तुति और कोई हो ही नहीं सकती....बहुत ही प्रभावशाली रचना आभार ....

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  5. क्या बात है, बहुत बढिया
    पहली बार आया हूं आप के ब्लाग पर अच्छा लगा

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  6. मंगलवार 29/01/2013को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
    आपके सुझावों का स्वागत है .... !!
    धन्यवाद .... !!

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  7. बहुत सशक्त पोस्ट .... अतिउत्तम !

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  8. बहुत बढ़िया..सटीक और सार्थक रचना..

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  9. हर एक पंक्ति में पाकिस्तान को जमकर ललकार लगाई गई है...सुंदर रचना।।

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  10. त्रिपाठी जी इस जोरदार रचना की बधाई. बिलकुल सटीक बात कही है माँ को खंडित करने वाले लोगो के बारे में.

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  11. अक्षम्य बातें कैसे भुला दी जायें भला, उद्वेलित करती पंक्तियाँ..

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  12. मन को उद्वेलित करती रचना,,,,बेहतरीन प्रस्तुति,,,नवीन जी,,,

    ..recent post: गुलामी का असर,,,

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  13. देश-वासियों के आक्रोश का प्रतिनिधित्व करती बेह्तरीन रचना
    आपके ब्लॉग पर ,बढ़िया है

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  14. बहुत प्रभावी ... बाजुओं में रवानी दौड़ जाती है ...
    हर पंक्ति नव संचार करती ... हुंकार देती ... बेहद लाजवाब ...

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  15. जोश से भरी सार्थक रचना ,
    बहुत बढ़िया नवीन जी..........
    साभार.........

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