अब जिधर देखो उधर उठने लगी अल्फाज है ।
तीन सौ सत्तर मिटाना , मुल्क की आवाज है ।।
लुट गया है ये वतन कानून के परदे में खूब ।
ठग रहे वो देश को हैं जब से उनका राज है ।।
धमकियाँ गद्दार ने दी टुकड़े होगी भारती ।
लद गये दिन अब तेरे कश्मीर मेरा ताज है ।।
अब तुम्हारी हैसियत पे ला दिया जनता ने है।
हर तरफ बजने लगा है ये बिगुल का साज है ।।
जेब भर कर खूं को चूसा रो गया कश्मीर है ।
हिसाब लेगे अब वही कश्मीर जिसका नाज है।।
नवीन
बढ़िया रचना व बेहतरीन लेखन ! नवीन भाई बहुतखूब !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सार्थक सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंदेश में कानून सबके लिए समान हो यह ज़रूरी है. वैसे मुझे लगता है धारा ३७० हटाना बहुत आसन नहीं होगा.
जवाब देंहटाएंलुट गया है ये वतन कानून के परदे में खूब ।
जवाब देंहटाएंठग रहे वो देश को हैं जब से उनका राज है ...
बहुत खूब ... जनता की आवाज़ को बुलंद किया है ... जन जन की आवाज़ यही है ३७० पर बहस तो हो कम से कम ....
सुन्दर प्रस्तुति !
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