तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

मंगलवार, 12 अगस्त 2014

इन शहीदों का मुकम्मल सलाम बाकी है

इन  शहीदों  का , मुकम्मल  सलाम  बाकी  है ।
मुल्क  के  पन्नों  में ,अहले  मुकाम  बाकी  है ।।

जिसने फंदों से मुहब्बत की मौत  की खातिर ।
उनकी जज्बात पे,  लिक्खा कलाम  बाकी है ।।

चिता  शहीद  पे  मेलों   का  जिक्र  कौन  करे ।
अब  तो  चादर  भी, कब्र पर तमाम  बाकी है ।।

हुए   हलाल   तो  दीवाने  ए  हिन्द  खूब  यहाँ ।
तमाशबीन ,  वतन    का    हराम    बाकी   है ।।

मजहबी   साजिशें    रचने   लगे   सियासतदा ।
सहादतों   का   ये , कैसा    ईनाम   बाकी   है ।।

जश्ने  आजादी   गुलामी  को   मिटाने पे  मिली।
मुफलिसी  दौर  में , जीता    गुलाम   बाकी  है।।

कौम  से   कौम  लड़ाते  वो  आज मकसद  से।
अमन   शुकूँ   का ,यहाँ  पर  पयाम  बाकी  है ।।


                  -नवीन मणि त्रिपाठी

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर |

    अमर शहीदों को शत शत नमन

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  2. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-

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  3. सुंदर प्रस्तुति...
    दिनांक 14/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
    हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
    हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर

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  4. नमन शहीदों को. ओजमय ग़ज़ल बनी है त्रिपाठी जी.

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  5. बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ

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  6. जश्ने  आजादी   गुलामी  को   मिटाने पे  मिली।
    मुफलिसी  दौर  में , जीता    गुलाम   बाकी  है।..wah sir behtreen. Kbhi www.sonitbopche.blogspot.com bhi visit kre aapka margdarshan apekshit hai.

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  7. सुन्दर गजल...स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  8. बेहतरीन प्रस्तुति... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...

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