इन शहीदों का , मुकम्मल सलाम बाकी है ।
मुल्क के पन्नों में ,अहले मुकाम बाकी है ।।
जिसने फंदों से मुहब्बत की मौत की खातिर ।
उनकी जज्बात पे, लिक्खा कलाम बाकी है ।।
चिता शहीद पे मेलों का जिक्र कौन करे ।
अब तो चादर भी, कब्र पर तमाम बाकी है ।।
हुए हलाल तो दीवाने ए हिन्द खूब यहाँ ।
तमाशबीन , वतन का हराम बाकी है ।।
मजहबी साजिशें रचने लगे सियासतदा ।
सहादतों का ये , कैसा ईनाम बाकी है ।।
जश्ने आजादी गुलामी को मिटाने पे मिली।
मुफलिसी दौर में , जीता गुलाम बाकी है।।
कौम से कौम लड़ाते वो आज मकसद से।
अमन शुकूँ का ,यहाँ पर पयाम बाकी है ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
मुल्क के पन्नों में ,अहले मुकाम बाकी है ।।
जिसने फंदों से मुहब्बत की मौत की खातिर ।
उनकी जज्बात पे, लिक्खा कलाम बाकी है ।।
चिता शहीद पे मेलों का जिक्र कौन करे ।
अब तो चादर भी, कब्र पर तमाम बाकी है ।।
हुए हलाल तो दीवाने ए हिन्द खूब यहाँ ।
तमाशबीन , वतन का हराम बाकी है ।।
मजहबी साजिशें रचने लगे सियासतदा ।
सहादतों का ये , कैसा ईनाम बाकी है ।।
जश्ने आजादी गुलामी को मिटाने पे मिली।
मुफलिसी दौर में , जीता गुलाम बाकी है।।
कौम से कौम लड़ाते वो आज मकसद से।
अमन शुकूँ का ,यहाँ पर पयाम बाकी है ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंअमर शहीदों को शत शत नमन
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंदिनांक 14/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
एक ईमानदार रचना !
जवाब देंहटाएंनमन शहीदों को. ओजमय ग़ज़ल बनी है त्रिपाठी जी.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
जश्ने आजादी गुलामी को मिटाने पे मिली।
जवाब देंहटाएंमुफलिसी दौर में , जीता गुलाम बाकी है।..wah sir behtreen. Kbhi www.sonitbopche.blogspot.com bhi visit kre aapka margdarshan apekshit hai.
सुन्दर गजल...स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह ....अनुपम भाव संयोजन
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