**गजल **
जज्बात ए गजल उनकी हुई आज बे असर।
भटका बहर रदीफ़ काफिया में उम्र भर ।।
वो कायदे वसूल बताने लगे हैं खूब ।
जंग ए शिकस्त जो हमें करते रहे नजर।।
हैरान माफिया है कलम का ठगा हुआ।
जब असलियत की रूबरू चर्चा हुई खबर।।
पत्ते भी चले दूर खिंजा ए बहार में ।
ये वक्त देखता रहा सहमा हुआ शजर।।
मासूम बे गुनाह पर पड़ने लगी निगाह ।
उनकी नियत ख़राब है डरने लगा शहर।।
कुछ तो जरुर है यहाँ खामोशियों में अब।
बेटी गरीब की थी दरिंदों का है कहर।।
अब मजहबी कातिल की बात कर ना तू "नवीन"।
दीवार ए मुखबिरी से साँस जायेगी ठहर ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
जज्बात ए गजल उनकी हुई आज बे असर।
भटका बहर रदीफ़ काफिया में उम्र भर ।।
वो कायदे वसूल बताने लगे हैं खूब ।
जंग ए शिकस्त जो हमें करते रहे नजर।।
हैरान माफिया है कलम का ठगा हुआ।
जब असलियत की रूबरू चर्चा हुई खबर।।
पत्ते भी चले दूर खिंजा ए बहार में ।
ये वक्त देखता रहा सहमा हुआ शजर।।
मासूम बे गुनाह पर पड़ने लगी निगाह ।
उनकी नियत ख़राब है डरने लगा शहर।।
कुछ तो जरुर है यहाँ खामोशियों में अब।
बेटी गरीब की थी दरिंदों का है कहर।।
अब मजहबी कातिल की बात कर ना तू "नवीन"।
दीवार ए मुखबिरी से साँस जायेगी ठहर ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
वाह नविन भाई वाह ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
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जैसे ख़ामोशियाँ बोलने लगी - लिख गईँ जज्बात ए गजल!
जवाब देंहटाएंपत्ते भी चले दूर खिंजा ए बहार में ।
जवाब देंहटाएंये वक्त देखता रहा सहमा हुआ शजर।।
.... वाह
उम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंमैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंसचमुच तीखापन है क़लम में !
जवाब देंहटाएंअब मजहबी कातिल की बात कर ना तू "नवीन"।
जवाब देंहटाएंदीवार ए मुखबिरी से साँस जायेगी ठहर
सच्चाईयों को समेटे जबरदस्त ग़ज़ल है.
sachhai
मासूम बे गुनाह पर पड़ने लगी निगाह ।
जवाब देंहटाएंउनकी नियत ख़राब है डरने लगा शहर।।..
बहुत खूब ... हर शेर कुछ न कुछ बताता हुआ इस ज़माने को ... लाजवाब शेर ...