दोस्ती तुम निभा नही सकते ।
आग दिल की बुझा नहीं सकते ।।
बेवफा लोग हैं मेरी किस्मत ।
दर्दे मंजर दिखा नही सकते ।।
मेरी इज्जत उछाल कर तुम भी ।
जश्न कोई मना नहीं सकते ।।
जख़्म देकर न पूछ दर्द मेरा ।
आसुओं को मिटा नहीं सकते ।।
दिल जलाने की साजिशें तेरी ।
बात हमसे छुपा नहीं सकते ।।
दावतें कब कबूल थीं तुझको ।
यह हकीकत बता नहीं सकते ।।
बना रहे ये दोस्ती का भरम ।
तेरा पर्दा उठा नही सकते ।।
नफरतों के लिए तेरी फितरत ।
तेरी किस्मत बना नही सकते ।।
जहर दिया है गर मुहब्बत ने ।
जिंदगी हम बचा नहीं सकते ।।
रूठ के जा मगर ये याद रहे ।
मुड़ के हम भी बुला नहीं सकते ।।
नवीन
आग दिल की बुझा नहीं सकते ।।
बेवफा लोग हैं मेरी किस्मत ।
दर्दे मंजर दिखा नही सकते ।।
मेरी इज्जत उछाल कर तुम भी ।
जश्न कोई मना नहीं सकते ।।
जख़्म देकर न पूछ दर्द मेरा ।
आसुओं को मिटा नहीं सकते ।।
दिल जलाने की साजिशें तेरी ।
बात हमसे छुपा नहीं सकते ।।
दावतें कब कबूल थीं तुझको ।
यह हकीकत बता नहीं सकते ।।
बना रहे ये दोस्ती का भरम ।
तेरा पर्दा उठा नही सकते ।।
नफरतों के लिए तेरी फितरत ।
तेरी किस्मत बना नही सकते ।।
जहर दिया है गर मुहब्बत ने ।
जिंदगी हम बचा नहीं सकते ।।
रूठ के जा मगर ये याद रहे ।
मुड़ के हम भी बुला नहीं सकते ।।
नवीन
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-05-2016) को "कहाँ गये मन के कोमल भाव" (चर्चा अंक-2355) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'