तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 1 अगस्त 2016

शायद नए सितम का नया सिलसिला मिले

मासूमियत  के   साथ   बहुत   बेवफा  मिले ।
चेहरे   तमाम   उम्र   हकीकत   जुदा  मिले ।।

देकर   गया   है   ऐतबार   फिर   नया नया ।
शायद नए सितम का नया सिलसिला मिले।।

है   इश्क़   का   बुखार  क्यूँ   तेरे  दयार   में ।
तेरे  शहर  में   लोग  भी   शादी  सुदा  मिले ।।

आई   कहाँ   वो   बात  हमारी  जुबान   पर ।
जिस  हौसले  में  तुझसे  हजारों दफ़ा मिले ।।

ये  इन्तजार   उसको  जमाने  से आज  तक ।
ठहरी  नजर  के  पास  कोई  दिलरुबा मिले ।।

तुझसे  मिली  निगाह  बदलती  फ़िजा  मिली ।
बदले   सभी   फकीर   बदलते   खुदा  मिले ।।

हुस्नो   मिजाज   देख  के   तारीफ  क्या  हुई ।
देखो   मेरे  हुजूर  अभी  तक   खफा   मिले ।।

क्या  बात   दुश्मनो  की  करूँ  मैं यहां नवीन ।
अक्सर  मेरे  अजीज  उसी  पर  फ़िदा  मिले ।।

        --नवीन मणि त्रिपाठी

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (03-08-2016) को "हम और आप" (चर्चा अंक-2423) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " पिंगली वैंकैया - भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. सचमुच बड़ी ही प्यारी गज़ल है मेरे हुज़ूर
    चाहत का यहीं से तो कोई सिलसिला मिले!

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