तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

मंगलवार, 30 अगस्त 2016

लिखता मिला मज़ार पे अरमान आदमी

2212 121 1221 212 
खोने  लगा  यकीन  है  अनजान आदमी ।
जब से बना है मौत  का सामान आदमी ।।

बाज़ार  सज  रहे हैं नए जिस्म को  लिए ।
बनकर बिका है मुल्क में दूकान आदमी ।।

ठहरो  मियां  हराम  न  खैरात  हो  कहीं ।
माना कहाँ  है  वक्त  पे एहसान  आदमी ।।

दरिया में डालता  है वो नेकी का हौसला ।
देखा  खुदा   के   नाम  परेशान  आदमी ।।

मजहब  तो  शर्मशार  तेरी  हरकतों  पे  है ।
कुछ  मजहबी  इमाम भी  शैतान आदमी ।।

मतलब परस्तियों का जरा देखिये सितम ।
बेचा   है  मोल  भाव  पे  ईमान  आदमी ।।

दौलत  से आरजू  का फ़कत वास्ता  यही ।
लिपटा  कफ़न के दाम में शमशान आदमी ।।

शातिर लिखा गया है उसी आम सख़्श को ।
जिसको  कहा  गया  था है नादान आदमी ।।

शायद  मुगालतों में  जिए  जा  रहा है वो ।
लिखता मिला मजार पे अरमान आदमी ।।
       

    -नवीन मणि त्रिपाठी

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