2212 1 21 12 212 12
कुछ मुद्दतो के बाद सही फैसले हुए ।
निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए ।।
मत पूछिए गुनाह किसी के हिजाब का ।
देखा कसूरवार के शिकवे गिले हुए ।।
हालात पराये है किसी के दयार में ।
है वक्त बेहिसाब बड़े हौसले हुए ।।
तकसीम कर रहा था हमारा मकान जो।
शायद उसी के घर में कई जलजले हुए ।।
पत्थर न फेंकिए है शहीदों का कारवां ।
कैसे हिमाकतों से लगे सिलसिले हुए ।।
कातिल तेरा कलाम मुकम्मल कहां रहा ।
नाकामियों के नाम तेरे पैतरे हुए ।।
तुझको तेरी जुबान में देना जबाब था ।
तेरी अदावतों से खड़े फ़लसफ़े हुए ।।
हिन्दोस्ताँ का अम्न मिटाने की हसरतें ।
हो कर गयीं हैं दफ़्न यहां मकबरे हुए ।।
बूढा फ़कीर तान के सीना खड़ा मिला ।
टूटा तेरा वजूद बहुत फासले हुए ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
कुछ मुद्दतो के बाद सही फैसले हुए ।
निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए ।।
मत पूछिए गुनाह किसी के हिजाब का ।
देखा कसूरवार के शिकवे गिले हुए ।।
हालात पराये है किसी के दयार में ।
है वक्त बेहिसाब बड़े हौसले हुए ।।
तकसीम कर रहा था हमारा मकान जो।
शायद उसी के घर में कई जलजले हुए ।।
पत्थर न फेंकिए है शहीदों का कारवां ।
कैसे हिमाकतों से लगे सिलसिले हुए ।।
कातिल तेरा कलाम मुकम्मल कहां रहा ।
नाकामियों के नाम तेरे पैतरे हुए ।।
तुझको तेरी जुबान में देना जबाब था ।
तेरी अदावतों से खड़े फ़लसफ़े हुए ।।
हिन्दोस्ताँ का अम्न मिटाने की हसरतें ।
हो कर गयीं हैं दफ़्न यहां मकबरे हुए ।।
बूढा फ़कीर तान के सीना खड़ा मिला ।
टूटा तेरा वजूद बहुत फासले हुए ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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