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ज़ुल्फ़ में जब नज़ाकत हुई ।
तिश्नगी फिर कयामत हुई ।।
वक्त की कुछ सियासत हुई ।
आप से जो मुहब्बत हुई ।।
जिस गली से गुजरते हैं वो ।
उस गली में इबादत हुई।।
मिल गई जो नज़र आपसे ।
आरजू ये सलामत हुई ।।
है अलग हुस्न कुछ आपका ।
आप ही की हुकूमत हुई ।।
यूँ संवरते गए आप भी ।
जब अदा की इनायत हुई ।।
अब चले आइये बज्म में ।
आपकी अब जरूरत हुई ।।
जाइये रूठ कर मत कहीं ।
आपसे कब अदावत हुई ।।
है तकाजा यहां उम्र का ।
आईनों की हिदायत हुई ।।
कुछ अदाएं मचलने लगीं ।
आंख से जब हिमाकत हुई ।।
चल दिये तोड़कर दिल मेरा ।
कौन सी ये शराफ़त हुई ।।
जब हुई मैकसी जश्न में ।
मैकदों तक शिकायत हुई ।।
टूटकर हम बिखरते रहे ।
आप से कब रियायत हुई ।।
जीत कर आ गए इश्क़ में ।
वो जमीं अब रियासत हुई ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
ज़ुल्फ़ में जब नज़ाकत हुई ।
तिश्नगी फिर कयामत हुई ।।
वक्त की कुछ सियासत हुई ।
आप से जो मुहब्बत हुई ।।
जिस गली से गुजरते हैं वो ।
उस गली में इबादत हुई।।
मिल गई जो नज़र आपसे ।
आरजू ये सलामत हुई ।।
है अलग हुस्न कुछ आपका ।
आप ही की हुकूमत हुई ।।
यूँ संवरते गए आप भी ।
जब अदा की इनायत हुई ।।
अब चले आइये बज्म में ।
आपकी अब जरूरत हुई ।।
जाइये रूठ कर मत कहीं ।
आपसे कब अदावत हुई ।।
है तकाजा यहां उम्र का ।
आईनों की हिदायत हुई ।।
कुछ अदाएं मचलने लगीं ।
आंख से जब हिमाकत हुई ।।
चल दिये तोड़कर दिल मेरा ।
कौन सी ये शराफ़त हुई ।।
जब हुई मैकसी जश्न में ।
मैकदों तक शिकायत हुई ।।
टूटकर हम बिखरते रहे ।
आप से कब रियायत हुई ।।
जीत कर आ गए इश्क़ में ।
वो जमीं अब रियासत हुई ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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