221 2121 1221 212
आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।
कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।
मिलता नशे में चूर वो कंगाल आदमी ।
शायद खुदा गरीब का भरता गिलास है ।।
ये तितलियां बता रहीं हैं राज कुछ हुजूर ।
आई बहार गुल में छलकती मिठास है ।।
पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात ख़ास है ।
हुस्नो अदा के ताज पे चर्चा बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक पे लगता कयास है ।।
खुशबू सी आ रही है मेरे इस दयार में ।
महबूब मेरा आज कहीं आस पास है ।।
मक़तूल की सजा थी या कातिल का था गुनाह ।
कुछ तो खता हुई है जो मक़तल उदास है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।
कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।
मिलता नशे में चूर वो कंगाल आदमी ।
शायद खुदा गरीब का भरता गिलास है ।।
ये तितलियां बता रहीं हैं राज कुछ हुजूर ।
आई बहार गुल में छलकती मिठास है ।।
पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात ख़ास है ।
हुस्नो अदा के ताज पे चर्चा बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक पे लगता कयास है ।।
खुशबू सी आ रही है मेरे इस दयार में ।
महबूब मेरा आज कहीं आस पास है ।।
मक़तूल की सजा थी या कातिल का था गुनाह ।
कुछ तो खता हुई है जो मक़तल उदास है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें