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महताब से मेरी तो कोई दुश्मनी नहीं ।
जाती मेरे दयार से क्यूँ तीरगी नहीं ।।
मुद्दत से चैन खो गया है नींद तक हराम ।
किसने कहा है आपकी सूरत भली नहीं ।।
कर देगी वो नज़र गुनाह हुस्न देखकर ।
उस पर न कर यकीं वो अभी मजहबी नहीं।।
लेकर गयी है दिल वो मेरा मुझसे छीन के ।
जिसको कहा था प्यार के क़ाबिल अभी नहीं ।।
कमसिन अदा से उसने मुझे देख कर कहा ।
बाकी बची क्या आप में कुछ तिश्नगी नहीं ।।
यूँ तो नक़ाब हट गयी पर्दा हया का है ।
देखा झुकी निग़ाह अभी तक उठी नहीं।।
तपती ज़मीं को रात भर बादल भिगो गया ।
फिर क्यूँ कहा है आपने ने बारिश हुई नहीं ।।
हम तिश्नगी की बात करें भी तो क्या करें ।
अब तक हुजूर आपकी बोतल खुली नहीं ।।
जुल्फ़ो ने जब से उसको गिरफ्तार कर लिया ।
फिर कोशिशों के बाद ज़मानत मिली नहीं ।।
हैं रिन्द बेशुमार तेरे मैक़दे के पास ।
शायद अभी शराब की कोई कमी नहीं ।।
महताब से मेरी तो कोई दुश्मनी नहीं ।
जाती मेरे दयार से क्यूँ तीरगी नहीं ।।
मुद्दत से चैन खो गया है नींद तक हराम ।
किसने कहा है आपकी सूरत भली नहीं ।।
कर देगी वो नज़र गुनाह हुस्न देखकर ।
उस पर न कर यकीं वो अभी मजहबी नहीं।।
लेकर गयी है दिल वो मेरा मुझसे छीन के ।
जिसको कहा था प्यार के क़ाबिल अभी नहीं ।।
कमसिन अदा से उसने मुझे देख कर कहा ।
बाकी बची क्या आप में कुछ तिश्नगी नहीं ।।
यूँ तो नक़ाब हट गयी पर्दा हया का है ।
देखा झुकी निग़ाह अभी तक उठी नहीं।।
तपती ज़मीं को रात भर बादल भिगो गया ।
फिर क्यूँ कहा है आपने ने बारिश हुई नहीं ।।
हम तिश्नगी की बात करें भी तो क्या करें ।
अब तक हुजूर आपकी बोतल खुली नहीं ।।
जुल्फ़ो ने जब से उसको गिरफ्तार कर लिया ।
फिर कोशिशों के बाद ज़मानत मिली नहीं ।।
हैं रिन्द बेशुमार तेरे मैक़दे के पास ।
शायद अभी शराब की कोई कमी नहीं ।।
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