2122 1212 22
यूँ दुपट्टा बहुत उड़ा कोई ।
जाने कैसी चली हवा कोई ।।
उम्र भर हुस्न की सियासत से ।
बे मुरव्वत छला गया कोई ।।
याद उसकी चुभा गयी नश्तर ।
दर्द से रात भर जगा कोई।।
ख़्वाहिशें इस क़दर थीं बेक़ाबू ।
फिर नज़र से उतर गया कोई ।।
वो सँवर कर गली से निकला है ।
ढूँढ़ता है जो हमनवा कोई ।।
प्यार पहला ज़रूर था उसका ।
मुद्दतों बाद तक मिला कोई ।।
इस तरह बेनक़ाब निकलें मत ।
हो रहा आप पर फ़िदा कोई ।।
लोग गिरने पे मुस्कुराते हैं ।
रह गयी अब कहाँ हया कोई ।।
टूटने का था इंतज़ार उन्हें ।
सांस देकर गयी दुआ कोई ।।
यूँ तसव्वुर में डूबकर शब भर ।
नज़्म में आपको लिखा कोई ।।
हुस्न पर छा रही अना तब से ।
जब से देखा है आईना कोई ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी ।
यूँ दुपट्टा बहुत उड़ा कोई ।
जाने कैसी चली हवा कोई ।।
उम्र भर हुस्न की सियासत से ।
बे मुरव्वत छला गया कोई ।।
याद उसकी चुभा गयी नश्तर ।
दर्द से रात भर जगा कोई।।
ख़्वाहिशें इस क़दर थीं बेक़ाबू ।
फिर नज़र से उतर गया कोई ।।
वो सँवर कर गली से निकला है ।
ढूँढ़ता है जो हमनवा कोई ।।
प्यार पहला ज़रूर था उसका ।
मुद्दतों बाद तक मिला कोई ।।
इस तरह बेनक़ाब निकलें मत ।
हो रहा आप पर फ़िदा कोई ।।
लोग गिरने पे मुस्कुराते हैं ।
रह गयी अब कहाँ हया कोई ।।
टूटने का था इंतज़ार उन्हें ।
सांस देकर गयी दुआ कोई ।।
यूँ तसव्वुर में डूबकर शब भर ।
नज़्म में आपको लिखा कोई ।।
हुस्न पर छा रही अना तब से ।
जब से देखा है आईना कोई ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी ।
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