----***गीत***----
तुम सावन की नव कोपल हो।
मैं पतझड़ का तना खड़ा हूँ ।।
तुम यौवन की सरस कथा हो,
मे जीवन की अंत व्यथा हूँ ।
प्रीति बावरी निर्मल निश्छल ,
तेरा सृजन कहाँ पर होगा।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण ,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा।।
तुम महलो की राज कुमारी।
मै फुटपाथों का कंकड़ हूँ।।
तुम सुर की हो पुष्प वाटिका
मै शव हेतु पुष्प अर्पण हूँ।।
ज्वाला निष्ठुर हुई अगर तो ,
आशा दहन कहाँ पर होगा।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा।।
तुम धवल चांदनी पूनम हो।
मै तिमिर अमावस का तन हूँ।।
तुम आकर्षण की मूरत हो,
मै प्रतिकर्षण का दर्पण हूँ।।
श्रृंगारों की नव सज्जा से ,
मेरा चयन कहाँ पर होगा ।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा ।।
तुम सागर की ज्वार उफनती,
मै जल जिसमे नाव ना चलती।
तुम आभा जो प्रात निकलती ,
मै लाली सूरज की ढलती ।।
शीत यामिनी के अन्तस् में ,
प्रियतम तपन कहाँ पर होगा ।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा।।
तुम पुरवा की मादकता हो,
मै पछुआ का शुष्क पवन हूँ।
तुम मृग नैनी मधुबन चितवन,
मै मुरझाया एक नयन हूँ।।
हे आशक्ति अग्नि प्रणय की।
तेरा शमन कहाँ पर होगा ।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
On Date 7-1-2015 कानपुर
तुम सावन की नव कोपल हो।
मैं पतझड़ का तना खड़ा हूँ ।।
तुम यौवन की सरस कथा हो,
मे जीवन की अंत व्यथा हूँ ।
प्रीति बावरी निर्मल निश्छल ,
तेरा सृजन कहाँ पर होगा।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण ,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा।।
तुम महलो की राज कुमारी।
मै फुटपाथों का कंकड़ हूँ।।
तुम सुर की हो पुष्प वाटिका
मै शव हेतु पुष्प अर्पण हूँ।।
ज्वाला निष्ठुर हुई अगर तो ,
आशा दहन कहाँ पर होगा।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा।।
तुम धवल चांदनी पूनम हो।
मै तिमिर अमावस का तन हूँ।।
तुम आकर्षण की मूरत हो,
मै प्रतिकर्षण का दर्पण हूँ।।
श्रृंगारों की नव सज्जा से ,
मेरा चयन कहाँ पर होगा ।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा ।।
तुम सागर की ज्वार उफनती,
मै जल जिसमे नाव ना चलती।
तुम आभा जो प्रात निकलती ,
मै लाली सूरज की ढलती ।।
शीत यामिनी के अन्तस् में ,
प्रियतम तपन कहाँ पर होगा ।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा।।
तुम पुरवा की मादकता हो,
मै पछुआ का शुष्क पवन हूँ।
तुम मृग नैनी मधुबन चितवन,
मै मुरझाया एक नयन हूँ।।
हे आशक्ति अग्नि प्रणय की।
तेरा शमन कहाँ पर होगा ।।
आ जाए यदि नेह निमन्त्रण,
कह दो मिलन कहाँ पर होगा ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
On Date 7-1-2015 कानपुर
सार्थक भावप्रणव रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव बिखेरे हैं ....बधाई
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट ….शब्दों की मुस्कराहट पर आपका स्वागत है