तीखी कलम से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

बुधवार, 7 जनवरी 2015

मजहब के नाम थोड़ा जहर घोलिए हुजूर

---***ग़ज़ल***---

मजहब  के  नाम थोडा जहर  घोलिये हुजूर।
फिर  सुबहो शाम फायदा भी तौलिये हुजूर ।।

अव्वल था  जो  तालीम में  वो भूख से मरा।
कुर्सी  गधों  के  नाम  है अब  झेलिये हुजूर।।

टूटा   है   नौजवान   यहाँ   भेद   भाव  से ।
 ये   भी   है  इंतकाम  नहीं  भूलिए  हुजूर ।।

आजाद  मुल्क  से  हमे  सौगात  ये  मिला ।
हम  हो   रहे  गुलाम  जरा   बोलिए  हुजूर।।

ऐसी  जम्हूरियत  जो  गुलामी  की  राह  दे।
होती है  वो नाकाम  आँख  खोलिए  हुजूर।।

आरक्षणों  के   नाम   पे   टूटा   है  हौसला।
गफलत  का है  मुकाम नहीं फूलिये हुजूर ।।

नफरत की राजनीति  जात-पात  बन गयी।
हिडोला  है  ये  हराम  खूब  झूलिए  हुजूर ।।

आहट किसी  तूफ़ान की देती  ये खामोशी ।
फिर हो न कत्ले आम बहुत सो लिए हुजूर।।

जाकर  सुलगती  आग  कलेजों  में  देखलो।
कुछ  नब्ज  से  अंजाम  भी टटोलिये हुजूर।।

                            -- नवीन मणि त्रिपाठी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें