बहुत तन्हा हूँ मैं ये वक्त कह गया हमसे।
पाल बैठा बड़ी उम्मीद बेवफा तुमसे ।।
दोस्ती आज बे नकाब मेरी महफ़िल में ।
दीदार फिर से वो मेरा करा गया गम से ।।
फ़िक्र जिस जिस की मैं दिन रात किया करता था।
वही खंजर यहां मुझपर चला गया दम से ।।
मेरे नीलाम की बोली में वह भी हाजिर था ।
मेरी औकात की कीमत लगा गया कम से ।।
नवीन
पाल बैठा बड़ी उम्मीद बेवफा तुमसे ।।
दोस्ती आज बे नकाब मेरी महफ़िल में ।
दीदार फिर से वो मेरा करा गया गम से ।।
फ़िक्र जिस जिस की मैं दिन रात किया करता था।
वही खंजर यहां मुझपर चला गया दम से ।।
मेरे नीलाम की बोली में वह भी हाजिर था ।
मेरी औकात की कीमत लगा गया कम से ।।
नवीन
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 जुलाई 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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