ग़ज़ल
यहां मेरी कलम तुझ पर कभी तकरीर न लिखती।
तेरी तश्वीर से मिलती हुई तश्वीर जो मिलती ।।
खरीदारों का मज़मा लग रहा तेरे हरम में अब ।
सुना तेरी मुहब्बत के लिए तहरीर भी बिकती ।।
नज़ीरे हुस्न हो अव्वल तेरी नजरो में जलवा है ।
करम हो जाए गर तेरा कोई तकदीर है खुलती।।
मेरा सावन है तू आकर बरस जा अब मेरे आँगन।
यहाँ मुद्दत से तुझको तश्नगी की पीर न दिखती ।।
अमन के वास्ते घूँघट में रहना लाजिमी तेरा ।
कयामत हुश्न बरपाता यहॉं शमसीर है चलती ।।
तुम्हारी हर तबस्सुम पर लिखे लाखो ने अफ़साने ।
फना के दरमियाँ मुझको तेरी जंजीर है खिचती ।।
रोक लो इन अदाओं को तेरी जुल्फें भी हैं कातिल ।
सनम अब मंदिरो मस्जिद की है ताबीर भी ढहती ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
ताबीर = पवित्रता तश्नगी=प्यास
शमसीर = तलवार तहरीर = एप्लीकेशन
तबस्सुम = मुस्कान
दरमिया= दौरान
फना =कुर्बान
यहां मेरी कलम तुझ पर कभी तकरीर न लिखती।
तेरी तश्वीर से मिलती हुई तश्वीर जो मिलती ।।
खरीदारों का मज़मा लग रहा तेरे हरम में अब ।
सुना तेरी मुहब्बत के लिए तहरीर भी बिकती ।।
नज़ीरे हुस्न हो अव्वल तेरी नजरो में जलवा है ।
करम हो जाए गर तेरा कोई तकदीर है खुलती।।
मेरा सावन है तू आकर बरस जा अब मेरे आँगन।
यहाँ मुद्दत से तुझको तश्नगी की पीर न दिखती ।।
अमन के वास्ते घूँघट में रहना लाजिमी तेरा ।
कयामत हुश्न बरपाता यहॉं शमसीर है चलती ।।
तुम्हारी हर तबस्सुम पर लिखे लाखो ने अफ़साने ।
फना के दरमियाँ मुझको तेरी जंजीर है खिचती ।।
रोक लो इन अदाओं को तेरी जुल्फें भी हैं कातिल ।
सनम अब मंदिरो मस्जिद की है ताबीर भी ढहती ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
ताबीर = पवित्रता तश्नगी=प्यास
शमसीर = तलवार तहरीर = एप्लीकेशन
तबस्सुम = मुस्कान
दरमिया= दौरान
फना =कुर्बान
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