उजड़ जाएगी ये बस्ती ख़ाक हो जाएगा कसबा ।
तेरी जुल्फे अदा करके गयी दिल में बहुत बलबा ।।
बड़ी शिद्दत से तुमने पढ़ लिया मेरी ग़ज़ल लेकिन ।
तेरी खामोशियो की दास्ताँ से है कहर बरपा ।।
तुम्हारी चाहतों का दर्द है लिखती कलम मेरी ।
तुम्हारी याद में मैं रात भर हूँ किस तरह तड़पा । ।
शेर मेरे पढ़े तुमने तसल्ली हो गयी दिल को ।
मुहब्बत हो मेरी पहली तुम्हारा ख़ास है रुतबा ।।
परायी हुश्न हो पर दिल चुराने का हुनर तुझमे ।
तेरी कातिल निगाहों ने किया छोटा मेरा रकबा ।।
जो दावत थी तेरी झूठी उसे सच मानता हूँ मैं ।
मिलूंगा मैं सनम तुझको जहाँ पर है तेरा कुनबा ।।
तेरी जुल्फे अदा करके गयी दिल में बहुत बलबा ।।
बड़ी शिद्दत से तुमने पढ़ लिया मेरी ग़ज़ल लेकिन ।
तेरी खामोशियो की दास्ताँ से है कहर बरपा ।।
तुम्हारी चाहतों का दर्द है लिखती कलम मेरी ।
तुम्हारी याद में मैं रात भर हूँ किस तरह तड़पा । ।
शेर मेरे पढ़े तुमने तसल्ली हो गयी दिल को ।
मुहब्बत हो मेरी पहली तुम्हारा ख़ास है रुतबा ।।
परायी हुश्न हो पर दिल चुराने का हुनर तुझमे ।
तेरी कातिल निगाहों ने किया छोटा मेरा रकबा ।।
जो दावत थी तेरी झूठी उसे सच मानता हूँ मैं ।
मिलूंगा मैं सनम तुझको जहाँ पर है तेरा कुनबा ।।
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