----***ग़ज़ल***---
फिर तिरंगे में सुनामी,.... कुछ तो है ।
देश में पलता हरामी,.... कुछ तो है ।।
तुम हुए आज़ाद बस कहते रहो ।
तेरी फितरत में गुलामी,....कुछ तो है ।।
फिर धुआं दिखने लगा संसद में है।
उसकी आदत में निजामी,....कुछ तो है।।
मज़हबी साया में देखो हुश्न बेपर्दा हुआ ।
हो गयीं वह भी किमामी,.....कुछ तो है ।।
जिसकी सत्ता थी नहीं उसको कबूल।
दे रहा है वो सलामी ,....कुछ तो है ।।
पुख्ता सबूतो पर मिली फाँसी उसे ।
क्यों हुई ये ऐहतरामी,....कुछ तो है ।।
बापू - माँ का शक्ल दागी हो गया है।
मैली चादर रामनामी ,....कुछ तो है ।।
है खबर शायद इलेक्शन हांरने की।
देखिये बद इंतजामी,.... कुछ तो है ।।
फिर तिरंगे में सुनामी,.... कुछ तो है ।
देश में पलता हरामी,.... कुछ तो है ।।
तुम हुए आज़ाद बस कहते रहो ।
तेरी फितरत में गुलामी,....कुछ तो है ।।
फिर धुआं दिखने लगा संसद में है।
उसकी आदत में निजामी,....कुछ तो है।।
मज़हबी साया में देखो हुश्न बेपर्दा हुआ ।
हो गयीं वह भी किमामी,.....कुछ तो है ।।
जिसकी सत्ता थी नहीं उसको कबूल।
दे रहा है वो सलामी ,....कुछ तो है ।।
पुख्ता सबूतो पर मिली फाँसी उसे ।
क्यों हुई ये ऐहतरामी,....कुछ तो है ।।
बापू - माँ का शक्ल दागी हो गया है।
मैली चादर रामनामी ,....कुछ तो है ।।
है खबर शायद इलेक्शन हांरने की।
देखिये बद इंतजामी,.... कुछ तो है ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें