तीखी कलम से

मेरे बारे में

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

बुधवार, 2 मार्च 2016

जे एन यू को समर्पित कुछ दोहे

जे एन यू से  मिल  गया  भारत  को  पैगाम।
छिपे  हुए  हैं मुल्क में  कितने नमक  हराम ।।

स्वायत्तता  के   नाम  वे  पोष   रहे  आतंक ।
चैनल के इस  कृत्य से लगा  देश  को डंक ।।

देशद्रोह  के  पक्ष  में  राजनीति  जब  होय ।
समझो दुर्दिन राष्ट्र का इससे  बड़ा  न कोय।।

उस विद्यालय मत पढ़ो जस जे एन यूं होय ।
राष्ट्र  द्रोह  के पाठ से  माँ   का  टुकडा होय ।।

हिन्द के दुश्मन हिन्द में फलते और फुलाय ।
बामपंथ के आड़ में देश का  चालत  जाय ।।

अफजल  की  जय बोलते भारत  के गद्दार ।
कैसी   शिक्षा  मिल  रही जे एन यू  के  द्वार ।।

शिक्षक   भी   गद्दार    हैं   चेले   भी   गद्दार ।
भ्र्ष्ट    प्रशासन    मौन   है  फैला   भ्रष्टाचार ।।

जे एन यू  अब  बन्द  हो  बन्द करो अपमान ।
दुश्मन  सारे पस्त  हों  तभी  हिन्द  की शान ।।

                                            -नवीन

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (04-03-2016) को "अँधेरा बढ़ रहा है" (चर्चा अंक-2271) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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