तेरे बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।
न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत ।
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले ।।
है इन मैकदों में चलन रफ्ता रफ्ता ।
करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।
तेरे हर सितम से सवालात इतना ।
मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।
बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।
मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।
ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।
जो आकर गया आजमाने से पहले ।।
जुबाँ को हया ने इजातजत कहाँ दी ?
शबे वस्ल नजरें झुकाने से पहले ।।
बयां कर गयी सारे चेहरे की रंगत ।
तेरे दर्दे गम को छुपाने से पहले ।।
तू कहकर गया अलविदा फख्र से क्यों ।
जनाजे को मेरे उठाने से पहले ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।
न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत ।
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले ।।
है इन मैकदों में चलन रफ्ता रफ्ता ।
करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।
तेरे हर सितम से सवालात इतना ।
मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।
बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।
मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।
ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।
जो आकर गया आजमाने से पहले ।।
जुबाँ को हया ने इजातजत कहाँ दी ?
शबे वस्ल नजरें झुकाने से पहले ।।
बयां कर गयी सारे चेहरे की रंगत ।
तेरे दर्दे गम को छुपाने से पहले ।।
तू कहकर गया अलविदा फख्र से क्यों ।
जनाजे को मेरे उठाने से पहले ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-07-2016) को "खिलता सुमन गुलाब" (चर्चा अंक-2410) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'