बड़ा सदमा लगा है दर्द ये किस से कहें भाई ।
गए काले ख़जाने हाथ से कैसे रहें भाई ।।
हमे तो लूटने का हक़ दिया जनता ने बढ़ चढ़ कर ।
तेरी पैनी हिमाकत को भला हम क्यों सहें भाई ।।
गढ़े मुद्दत की मेहनत से करप्शन के किले हमने ।
वो तेरी बेरूखी से ये किले भी क्यों ढहें भाई ।।
इलक्शन के लिए कुछ तो रहम करते मेंरे आँका ।
बहुत बोरों में दौलत थी कहाँ लेकर बहें भाई ।।
न जाने कौन सा जादू चला बैठे हो लोगों पर ।
हमारी कौन है सुनता सभी तुमको चहें भाई ।।
बनी हैं सिर्फ घोटालो के बल पर कुर्सिया मेरी ।
करो थोडा जतन मेरे निशाने भी लहें भाई ।।
1222 1222 1222 1222
-- नवीन मणि त्रिपाठी
गए काले ख़जाने हाथ से कैसे रहें भाई ।।
हमे तो लूटने का हक़ दिया जनता ने बढ़ चढ़ कर ।
तेरी पैनी हिमाकत को भला हम क्यों सहें भाई ।।
गढ़े मुद्दत की मेहनत से करप्शन के किले हमने ।
वो तेरी बेरूखी से ये किले भी क्यों ढहें भाई ।।
इलक्शन के लिए कुछ तो रहम करते मेंरे आँका ।
बहुत बोरों में दौलत थी कहाँ लेकर बहें भाई ।।
न जाने कौन सा जादू चला बैठे हो लोगों पर ।
हमारी कौन है सुनता सभी तुमको चहें भाई ।।
बनी हैं सिर्फ घोटालो के बल पर कुर्सिया मेरी ।
करो थोडा जतन मेरे निशाने भी लहें भाई ।।
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-- नवीन मणि त्रिपाठी
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