---------------******ग़ज़ल******-------------
तेरे जलवे से वाकिफ हूँ तेरा दीदार करता हूँ ।
मुहब्बत मैं तुझे सज़दा यहां सौ बार करता हूँ ।।
नज़र बहकी फिजाओं में अदाएं भी हुई कमसिन ।
बड़ी मशहूर हस्ती हो नया इकरार करता हूँ ।।
न जाने कौन सी मिट्टी खुदा ने फिर तराशा है ।
है कारीगर बड़ा बेहतर बहुत ऐतबार करता हूँ ।।
नई आबो हवा में वो कली खिल जायेगी यारों ।
गुलाबी रोशनाई से लिखा इजहार करता हूँ ।।
यहां बेदर्द ख्वाहिश है वहां कातिल निगाहें हैं ।
बड़ी शिद्दत से मैं दिल में दफ़न हर खार करता हूँ ।।
जमाने में रकीबों ने बड़ी कीमत लगा दी है ।
है नीलामी का ये मंजर नया व्यापार करता हूँ ।।
कोई तश्वीर है धुँधली , है जिंदाबाद ये कोशिश ।
अधूरे अक्स को लेकर उसे साकार करता हूँ ।।
तमन्ना रूठ मत जाए तेरे कूचे में दाखिल है ।
शिक़ायत वक्त करता है उसे बेकार करता हूँ ।।
बहुत नजदीक से गुज़री है तेरे हुस्न की खुशबू ।
हवाओं की अदावत से ज़िगर लाचार करता हूँ ।।
--- नवीन मणि त्रिपाठी
तेरे जलवे से वाकिफ हूँ तेरा दीदार करता हूँ ।
मुहब्बत मैं तुझे सज़दा यहां सौ बार करता हूँ ।।
नज़र बहकी फिजाओं में अदाएं भी हुई कमसिन ।
बड़ी मशहूर हस्ती हो नया इकरार करता हूँ ।।
न जाने कौन सी मिट्टी खुदा ने फिर तराशा है ।
है कारीगर बड़ा बेहतर बहुत ऐतबार करता हूँ ।।
नई आबो हवा में वो कली खिल जायेगी यारों ।
गुलाबी रोशनाई से लिखा इजहार करता हूँ ।।
यहां बेदर्द ख्वाहिश है वहां कातिल निगाहें हैं ।
बड़ी शिद्दत से मैं दिल में दफ़न हर खार करता हूँ ।।
जमाने में रकीबों ने बड़ी कीमत लगा दी है ।
है नीलामी का ये मंजर नया व्यापार करता हूँ ।।
कोई तश्वीर है धुँधली , है जिंदाबाद ये कोशिश ।
अधूरे अक्स को लेकर उसे साकार करता हूँ ।।
तमन्ना रूठ मत जाए तेरे कूचे में दाखिल है ।
शिक़ायत वक्त करता है उसे बेकार करता हूँ ।।
बहुत नजदीक से गुज़री है तेरे हुस्न की खुशबू ।
हवाओं की अदावत से ज़िगर लाचार करता हूँ ।।
--- नवीन मणि त्रिपाठी
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