212 212 212
चाहतों का सिला दीजिये ।
हो सके मुस्कुरा दीजिये ।।
टूट जाए न् ये जिंदगी।
हौसला कुछ बढा दीजिये।।
गफलतें हो चुकी हैं बहुत ।
रुख़ से पर्दा हटा दीजिये ।।
देखिए हाल बेहाल क्यूँ ।
आप ही कुछ दवा दीजिये ।।
बेवफा कह दिया क्यो उसे ।
राज है क्या बता दीजिये ।।
लूट कर ले गई सब नजर ।
यह रपट भी लिखा दीजिये ।।
टूटकर वह बिखर ही गई ।
जाइये घर बसा दीजिये ।।
है जरूरी मुलाकात भी ।
रास्ता इक बना दीजिये ।।
दीजिये जाम उसको मगर ।
थोड़ा पानी मिला दीजिये ।।
जो हुई थी ग़ज़ल याद में ।
आज फिर वह सुना दीजिये ।।
वह बहुत कह चुका है बुरा ।
आइना अब दिखा दीजिये ।।
उम्र कातिल हुई आपकी ।
तीर सारे चला दीजिये ।।
नींद आती नहीं रात भर ।
ख़त पुराने जला दीजिये ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
चाहतों का सिला दीजिये ।
हो सके मुस्कुरा दीजिये ।।
टूट जाए न् ये जिंदगी।
हौसला कुछ बढा दीजिये।।
गफलतें हो चुकी हैं बहुत ।
रुख़ से पर्दा हटा दीजिये ।।
देखिए हाल बेहाल क्यूँ ।
आप ही कुछ दवा दीजिये ।।
बेवफा कह दिया क्यो उसे ।
राज है क्या बता दीजिये ।।
लूट कर ले गई सब नजर ।
यह रपट भी लिखा दीजिये ।।
टूटकर वह बिखर ही गई ।
जाइये घर बसा दीजिये ।।
है जरूरी मुलाकात भी ।
रास्ता इक बना दीजिये ।।
दीजिये जाम उसको मगर ।
थोड़ा पानी मिला दीजिये ।।
जो हुई थी ग़ज़ल याद में ।
आज फिर वह सुना दीजिये ।।
वह बहुत कह चुका है बुरा ।
आइना अब दिखा दीजिये ।।
उम्र कातिल हुई आपकी ।
तीर सारे चला दीजिये ।।
नींद आती नहीं रात भर ।
ख़त पुराने जला दीजिये ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
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