2122 2122 212
मैकदों के पास आकर देखिये ।
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।।
वह नई उल्फ़त या नागन है कोई ।
गौर से चिलमन हटाकर देखिये ।।
सर फरोशी की तमन्ना है अगर ।
बेवफा से दिल लगाकर देखिये ।।
आपकी जुल्फें सवंर जायेगी खुद ।
आशिकों के पास जाकर देखिये ।।
आस्तीनों में सपोले हैं छुपे ।
हाथ दुश्मन से मिलाकर देखिये ।।
जल न् जाऊँ मैं कहीं फिर इश्क़ में । इस तरह मत मुस्कुराकर देखिये ।।
होश खोने का इरादा है अगर ।
ज़ाम साकी को पिलाकर देखिये ।।
दाग लग जाते हैं दामन पर यहां ।
कुछ तमाशा दूर जाकर देखिये ।।
फिर नशेमन पर गिरी हैं बिजलियाँ ।
बादलों को तिलमिलाकर देखिये ।।
हो रहा वह हुस्न भी नीलाम अब ।
बोलियां ऊंची लगाकर देखिये ।।
चाहते गर लाश जिन्दा देखना ।
रात कोठों पर बिताकर देखिये ।।
--नवीन मणि त्रिपठी
मैकदों के पास आकर देखिये ।
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।।
वह नई उल्फ़त या नागन है कोई ।
गौर से चिलमन हटाकर देखिये ।।
सर फरोशी की तमन्ना है अगर ।
बेवफा से दिल लगाकर देखिये ।।
आपकी जुल्फें सवंर जायेगी खुद ।
आशिकों के पास जाकर देखिये ।।
आस्तीनों में सपोले हैं छुपे ।
हाथ दुश्मन से मिलाकर देखिये ।।
जल न् जाऊँ मैं कहीं फिर इश्क़ में । इस तरह मत मुस्कुराकर देखिये ।।
होश खोने का इरादा है अगर ।
ज़ाम साकी को पिलाकर देखिये ।।
दाग लग जाते हैं दामन पर यहां ।
कुछ तमाशा दूर जाकर देखिये ।।
फिर नशेमन पर गिरी हैं बिजलियाँ ।
बादलों को तिलमिलाकर देखिये ।।
हो रहा वह हुस्न भी नीलाम अब ।
बोलियां ऊंची लगाकर देखिये ।।
चाहते गर लाश जिन्दा देखना ।
रात कोठों पर बिताकर देखिये ।।
--नवीन मणि त्रिपठी
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