2122 1212 22
मुझ से मेरा ही फ़लसफ़ा पूछा ।
क्या बता दूँ कि उसने क्या पूछा ।।
डूब जाने की आरजू लेकर ।
उसने दरिया का रास्ता पूछा ।
देर होनी थी हो गयी है अब ।
वक्त ने मुझसे वास्ता पूछा ।
था भरोसा नहीं मगर मुझसे ।
मुद्दतों बाद वह गिला पूछा ।।
हिज्र के बाद जी रहे कैसे ।
चाँद ने मेरा हौसला पूछा।।
सच की उसको बड़ी जरूरत है ।
उसने आते ही आइना पूछा ।।
कह रहा था जो दूरियां ही नहीं ।
आज वह दिल का फासला पूछा ।।
लोग लुटते है क्यूँ मुहब्बत में ।
राज मुझसे ये ग़मज़दा पूँछा ।।
दर्दे दिल था उसे मयस्सर ही ।
कब हकीमों से मसबरा पूछा ।।
जख्म दिल में जो कर गया था मेरे।
हाल वह मेरा बारहा पूछा ।।
खूब हैरत हुई मुझे भी तब ।
अपने जब मेरा पता पूँछा ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
मुझ से मेरा ही फ़लसफ़ा पूछा ।
क्या बता दूँ कि उसने क्या पूछा ।।
डूब जाने की आरजू लेकर ।
उसने दरिया का रास्ता पूछा ।
देर होनी थी हो गयी है अब ।
वक्त ने मुझसे वास्ता पूछा ।
था भरोसा नहीं मगर मुझसे ।
मुद्दतों बाद वह गिला पूछा ।।
हिज्र के बाद जी रहे कैसे ।
चाँद ने मेरा हौसला पूछा।।
सच की उसको बड़ी जरूरत है ।
उसने आते ही आइना पूछा ।।
कह रहा था जो दूरियां ही नहीं ।
आज वह दिल का फासला पूछा ।।
लोग लुटते है क्यूँ मुहब्बत में ।
राज मुझसे ये ग़मज़दा पूँछा ।।
दर्दे दिल था उसे मयस्सर ही ।
कब हकीमों से मसबरा पूछा ।।
जख्म दिल में जो कर गया था मेरे।
हाल वह मेरा बारहा पूछा ।।
खूब हैरत हुई मुझे भी तब ।
अपने जब मेरा पता पूँछा ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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