इस चमन में गुबार मत करना ।
अम्न को तार तार मत करना ।।
हो रही हर तरफ़ नई साज़िश ।
बेसबब जां निसार मत करना ।।
कर्ज कुछ तो वतन का है तुम पर।
खून को दागदार मत करना ।।
ख़्वाहिशें गर हैं आज़माने की ।
हौसलों से फ़रार मत करना ।।
लूट लेता है मुस्कुरा कर वो ।
दिल का सौदा उधार मत करना ।।
कैसे कह दें बहक नहीं सकते।
तुम अभी ऐतबार मत करना ।।
उम्र गुजरी इसे बनाने में ।
दोस्ती में दरार मत करना ।।
माँग कर फिर मेरी मुहब्बत को ।
प्यार को शर्म सार मत करना ।।
क़ामयाबी अगर ज़रूरी है ।
ख़ाब को इश्तिहार मत करना ।।
मैं तुम्हारी नियत से वाक़िफ़ हूँ ।
कोई ताज़ा शिकार मत करना ।।
फासले बेहिसाब बढ़ते हैं ।
दौलतें बेशुमार मत करना ।।
मौलिक अप्रकाशित
नवीन मणि त्रिपाठी
अम्न को तार तार मत करना ।।
हो रही हर तरफ़ नई साज़िश ।
बेसबब जां निसार मत करना ।।
कर्ज कुछ तो वतन का है तुम पर।
खून को दागदार मत करना ।।
ख़्वाहिशें गर हैं आज़माने की ।
हौसलों से फ़रार मत करना ।।
लूट लेता है मुस्कुरा कर वो ।
दिल का सौदा उधार मत करना ।।
कैसे कह दें बहक नहीं सकते।
तुम अभी ऐतबार मत करना ।।
उम्र गुजरी इसे बनाने में ।
दोस्ती में दरार मत करना ।।
माँग कर फिर मेरी मुहब्बत को ।
प्यार को शर्म सार मत करना ।।
क़ामयाबी अगर ज़रूरी है ।
ख़ाब को इश्तिहार मत करना ।।
मैं तुम्हारी नियत से वाक़िफ़ हूँ ।
कोई ताज़ा शिकार मत करना ।।
फासले बेहिसाब बढ़ते हैं ।
दौलतें बेशुमार मत करना ।।
मौलिक अप्रकाशित
नवीन मणि त्रिपाठी
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