****ग़ज़ल****
मैंने किया सलाम तुझे देखने के बाद ।
दिल को मिला मुकाम तुझे देखने के बाद ।।
शरमा गया है चाँद तुम्हारे शबाब पर ।
खत में लिखा पयाम तुझे देखने के बाद ।।
आवाज आ रही तिरे कूचे से रूह तक ।
ये चैन है हराम तुझे देखने के बाद ।।
शायद हवा की रुख में नई फेर बदल हो ।
है वक्त बे लगाम तुझे देखने के बाद ।।
घर से निकल पड़ी कोई खुशबू नई नई ।
गुजरी हसीन शाम तुझे देखने के बाद ।।
मेरी ग़ज़ल की आबरू में सिर्फ तू ही तू ।
लिखता रहा कलाम तुझे देखने के बाद ।।
छलकी शराब आँख से मुद्दत के बाद है ।
है कुछ तो इंतजाम तुझे देखने के बाद ।।
कातिल तेरी निगाह से बचना मुहाल था ।
हम भी हुए तमाम तुझे देखने के बाद ।।
-----नवीन मणि त्रिपाठी
मैंने किया सलाम तुझे देखने के बाद ।
दिल को मिला मुकाम तुझे देखने के बाद ।।
शरमा गया है चाँद तुम्हारे शबाब पर ।
खत में लिखा पयाम तुझे देखने के बाद ।।
आवाज आ रही तिरे कूचे से रूह तक ।
ये चैन है हराम तुझे देखने के बाद ।।
शायद हवा की रुख में नई फेर बदल हो ।
है वक्त बे लगाम तुझे देखने के बाद ।।
घर से निकल पड़ी कोई खुशबू नई नई ।
गुजरी हसीन शाम तुझे देखने के बाद ।।
मेरी ग़ज़ल की आबरू में सिर्फ तू ही तू ।
लिखता रहा कलाम तुझे देखने के बाद ।।
छलकी शराब आँख से मुद्दत के बाद है ।
है कुछ तो इंतजाम तुझे देखने के बाद ।।
कातिल तेरी निगाह से बचना मुहाल था ।
हम भी हुए तमाम तुझे देखने के बाद ।।
-----नवीन मणि त्रिपाठी
सुन्दर ग़ज़ल
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