लिखी ग़ज़ल है वो मेरी कहानियां लेकर ।
जुदा हुई थी जो हमसे निशानियाँ लेकर ।।
बेवफा कहके मुकद्दर जला दिया जिसने ।
नज़र आयी है जनाजे पे सिसिकियां लेकर।।
बड़ी उम्मीदआशियाँ की फकत थी जिससे ।
वही नीलाम की निकले मुनादियाँ लेकर ।।
कुछ तबीयत मचल गयी तो बड़ा हंगामा ।
हरम में हूर मिलीं जब जवानियाँ लेकर ।।
जाम शब् भर चले होंगे सबूत हासिल है।
नई शबनम है नजर में खुमारियां लेकर ।।
दे सकी एक तबस्सुम न लबो पर उसके ।
जिंदगी जिसने गुजारी उदासियां लेकर ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
नवीन
जुदा हुई थी जो हमसे निशानियाँ लेकर ।।
बेवफा कहके मुकद्दर जला दिया जिसने ।
नज़र आयी है जनाजे पे सिसिकियां लेकर।।
बड़ी उम्मीदआशियाँ की फकत थी जिससे ।
वही नीलाम की निकले मुनादियाँ लेकर ।।
कुछ तबीयत मचल गयी तो बड़ा हंगामा ।
हरम में हूर मिलीं जब जवानियाँ लेकर ।।
जाम शब् भर चले होंगे सबूत हासिल है।
नई शबनम है नजर में खुमारियां लेकर ।।
दे सकी एक तबस्सुम न लबो पर उसके ।
जिंदगी जिसने गुजारी उदासियां लेकर ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
नवीन
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