तमाम नाजो नफासतों से मिरा गुलिस्तां तबाह कर दे ।
रहम अगर कुछ बचा हो दिल में इधर भी थोड़ी निगाह कर दे ।।
अजीब चिलमन की दास्ताँ है नजर ने भेजा सलाम तुझको ।
नकाब इतना उठा के मत चल नियत न मेरी गुनाह कर दे ।।
है चाहतों का कसूर इतना न जाने कब से हैं मुन्तजिर ये ।
हो तेरी जुल्फों का शामियाना झुकी पलक में पनाह कर दे ।।
ऐ चाँद तुझको भरम हुआ है हुस्न कहाँ बेदाग है तेरा ।
अगर उजालों की है तमन्ना तो रात पूरी सियाह कर दे ।।
तुझे दुश्मनो से है मुहब्बत मुझे रोकना कहाँ है मुमकिन ।
मिरे रकीबो की खैरियत में तू जा के अपनी सलाह कर दे ।।
सितम तुम्हारा जख़्म हमारा हुआ है रोशन शहर में चर्चा ।
जुलम को अपनी वफ़ा समझकर ग़मों से मेरे निकाह कर दे ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
रहम अगर कुछ बचा हो दिल में इधर भी थोड़ी निगाह कर दे ।।
अजीब चिलमन की दास्ताँ है नजर ने भेजा सलाम तुझको ।
नकाब इतना उठा के मत चल नियत न मेरी गुनाह कर दे ।।
है चाहतों का कसूर इतना न जाने कब से हैं मुन्तजिर ये ।
हो तेरी जुल्फों का शामियाना झुकी पलक में पनाह कर दे ।।
ऐ चाँद तुझको भरम हुआ है हुस्न कहाँ बेदाग है तेरा ।
अगर उजालों की है तमन्ना तो रात पूरी सियाह कर दे ।।
तुझे दुश्मनो से है मुहब्बत मुझे रोकना कहाँ है मुमकिन ।
मिरे रकीबो की खैरियत में तू जा के अपनी सलाह कर दे ।।
सितम तुम्हारा जख़्म हमारा हुआ है रोशन शहर में चर्चा ।
जुलम को अपनी वफ़ा समझकर ग़मों से मेरे निकाह कर दे ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (27-06-2016) को "अपना भारत देश-चमचे वफादार नहीं होते" (चर्चा अंक-2385) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'