कुर्सी पर तू बैठ के ना शैतानी कर ।
जातिवाद से थोड़ी आना कानी कर ।।
साम्राज्य का अंत तुम्हारे निश्चित है ।
काशी मथुरा में ना तू नादानी कर ।।
निर्दोषो का लहू पिलाकर गुंडों को ।
रुतबा अपना धूम से पानी पानी कर ।।
माँग रही है न्याय बदायूं की बेटी ।
बचे न कोई साक्ष्य बहुत निगरानी कर ।।
काशी के सन्तों की हड्डी तोड़ चुके ।
अखलाकों के घर जाकर अगवानी कर ।।
सड़कें टूटी बिखरी तुझ पर रोती हैं ।
जा जनता से झूठी गलत बयानी कर ।।
समाजवाद की हत्या के आरोपी तुम ।
नई सफाई देकर नई कहानी कर ।।
हे दंगो की राजनीति के महारथी ।
जनता भोली भाली है कुर्बानी कर ।।
बनी सैफई अय्यासों का अड्डा है ।
नचा हिरोइन बैठ के राजा रानी कर ।।
गोमांस को बकरा कहने वाले तुम ।
भरी अदालत में जा बात जुबानी कर ।।
ओबीसी के नाम दिखा बस यादव है ।
बची खुची भर्ती में नई निशानी कर ।।
घोटालो से लूट तिजोरी भर डाली ।
जंगल का है राज खूब मनमानी कर ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
जातिवाद से थोड़ी आना कानी कर ।।
साम्राज्य का अंत तुम्हारे निश्चित है ।
काशी मथुरा में ना तू नादानी कर ।।
निर्दोषो का लहू पिलाकर गुंडों को ।
रुतबा अपना धूम से पानी पानी कर ।।
माँग रही है न्याय बदायूं की बेटी ।
बचे न कोई साक्ष्य बहुत निगरानी कर ।।
काशी के सन्तों की हड्डी तोड़ चुके ।
अखलाकों के घर जाकर अगवानी कर ।।
सड़कें टूटी बिखरी तुझ पर रोती हैं ।
जा जनता से झूठी गलत बयानी कर ।।
समाजवाद की हत्या के आरोपी तुम ।
नई सफाई देकर नई कहानी कर ।।
हे दंगो की राजनीति के महारथी ।
जनता भोली भाली है कुर्बानी कर ।।
बनी सैफई अय्यासों का अड्डा है ।
नचा हिरोइन बैठ के राजा रानी कर ।।
गोमांस को बकरा कहने वाले तुम ।
भरी अदालत में जा बात जुबानी कर ।।
ओबीसी के नाम दिखा बस यादव है ।
बची खुची भर्ती में नई निशानी कर ।।
घोटालो से लूट तिजोरी भर डाली ।
जंगल का है राज खूब मनमानी कर ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
सुन्दर !
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