तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 25 जुलाई 2016

सावन का महीना

सावन के महीने में सारे पूजी पति लोग आनंद मनाते हैं लेकिन सही मायने में गरीबों के लिए सावन का महीना मुसीबत लेकर आता है । मैंने गरीबों की मुसीबत देखते हुए सावन के महीने पर एक रचना लिखी है ।....................................


मच्छर ने नोच   खाया  सावन  का  महीना ।
मैं रात भर  खुजाया  सावन   का  महीना ।।

जब गर्म हुआ तड़का कीड़ों ने जम्प मारा ।
मेथी समझ के खाया सावन  का महीना ।।

सीवर में घुसा पानी ,ओवर फ्लो हुआ है ।
गिर कर बहुत नहाया सावन का महीना ।।

चू ने लगी  है  छत  तब  बरसात तेज आई ।
मुझे  रात  भर जगाया  सावन का महीना ।।

है बढ़ गयी  महगाई  कहती  मेरी  लुगाई ।
धंधा  बहुत  गवांया  सावन  का  महीना ।।

तन मन की आग बेगम जैसे चली बुझाने ।
इक सांप नज़र आया सावन का महीना ।।

बच्चों की जिद पे झूला था डाल पर टँगाया
 ।
वह  पैर  तोड़  आया  सावन  का  महीना ।

लकड़ी मिली है भीगी चूल्हा जला न पाया ।
चूहों  ने  पेट  खाया  सावन   का   महीना ।।

डेटिंग पे  नही आयी  बारिस वजह बताई । 
है  वक्त  बुरा  आया   सावन   का   महीना ।

नवीन

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 27 जुलाई जुलाई 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. वाह ... मस्त ग़ज़ल है सावन के महीने की यादें ...

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena

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