2122 1212 22
आज मुद्दा ज़ुबान पर भाई ।
गोलियां क्यूँ जवान पर भाई ।।
उठ रहीं बेहिसाब उँगली क्यूँ ।
इस लचीली कमान पर भाई ।।
कुछ वफादार हैं अदावत के।
तेरे अपने मकान पर भाई।।
बाल बाका न हो सका उनका।
खूब चर्चा उफान पर भाई ।।
मरमिटे हम भी तेरी छाती पर।
चोट खाया गुमान पर भाई ।।
बिक रही दहशतें हिमाक़त में ।
उस की छोटी दुकान पर भाई ।।
गीदड़ो का फसल पे हमला है ।
बैठ ऊँचे मचान पर भाई ।।
यार देता हुनर उसे जंगी ।
क्या मिला है उड़ान पर भाई ।।
प्याज बिक जाएगी अठन्नी में ।
जुल्म कैसा किसान पर भाई ।।
मजहबी कत्ल भी इबादत है ?
दिख गया कब कुरान पर भाई ।।
कुछ हकीकत से वास्ता रख लो ।
जिंदगी है ढलान पर भाई ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
आज मुद्दा ज़ुबान पर भाई ।
गोलियां क्यूँ जवान पर भाई ।।
उठ रहीं बेहिसाब उँगली क्यूँ ।
इस लचीली कमान पर भाई ।।
कुछ वफादार हैं अदावत के।
तेरे अपने मकान पर भाई।।
बाल बाका न हो सका उनका।
खूब चर्चा उफान पर भाई ।।
मरमिटे हम भी तेरी छाती पर।
चोट खाया गुमान पर भाई ।।
बिक रही दहशतें हिमाक़त में ।
उस की छोटी दुकान पर भाई ।।
गीदड़ो का फसल पे हमला है ।
बैठ ऊँचे मचान पर भाई ।।
यार देता हुनर उसे जंगी ।
क्या मिला है उड़ान पर भाई ।।
प्याज बिक जाएगी अठन्नी में ।
जुल्म कैसा किसान पर भाई ।।
मजहबी कत्ल भी इबादत है ?
दिख गया कब कुरान पर भाई ।।
कुछ हकीकत से वास्ता रख लो ।
जिंदगी है ढलान पर भाई ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी