तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

रविवार, 30 जून 2024

दुनिया को मुहब्बत से जलन कम नहीं होती

 ग़ज़ल

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चेहरे पे मुहब्बत की शिकन कम नहीं होती ।

माशूक़ की ख़ुशबू ए बदन कम नहीं होती ।।1


उल्फ़त  की  है ये  ज़ुस्तज़ू दीवानगी का दौर ।

मौजों की जो साहिल से लगन कम नहीं होती ।।2


बढ़ती ही चली जाती है ये बोझ की माफ़िक ।

इस ज़िन्दगी की यार थकन कम नहीं होती ।।3


चाहत हो अगर दिल मे मुलाकात की साहब ।

साँसों की शबे वस्ल तपन कम नहीं होती ।।4


कह दीजिये जो मन में हो हर बात सरे बज़्म ।

ख़ामोशियों से मन की घुटन कम नहीं होती ।।5


मुश्किल है बहुत चलना सदाक़त की डगर पर । 

इस राह में काँटों की चुभन कम नहीं  होती ।।6


नफ़रत  के  नगर  में  न करें  प्यार  की  चर्चा ।

दुनिया को मुहब्बत से जलन कम नहीं होती ।।7


            --नवीन मणि त्रिपाठी