2212-1212-2212-12
थोड़ी तसल्लियों में कोई इंतजार हो ।
माना कि आज तुम जियादा बेकरार हो ।।
वह मैकदों के पास से गुजरा नहीं कभी ।
गर चाहते हो रिन्द को तो इश्तिहार हो ।।
निकला हैआज चाँद शायद मुद्दतों के बाद।
अब वस्ल पर वो फैसला भी आरपार हो।।
आया शिकार पर न् वोखुद ही शिकार हो। इतना खुदा करे उसे बेगम से प्यार हो ।।
लिक्खा दरख़्त पर किसी पगली ने कोई नाम।
शायद गरीब दिल की कोई यादगार हो।।
हालात हैं खराब क्यों कुछ सोचिये जनाब ।
मुमकिन कहीं नसीब में गहरी दरार हो ।।
कुछ इस तरह से क़ैद में रखिये उसे हुजूर ।
ऐसा न् हो कि इश्क का मुजरिम फरार हो।।
आये नही वो आज भी महफ़िलके आसपास ।
पूछो कहीं न् और भी सजता दयार हो ।।
रोते दिखे हैं आप भी रुख़सत पे बेहिसाब ।
शायद किसी अदा पे कोई जाँ निशार हो ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
थोड़ी तसल्लियों में कोई इंतजार हो ।
माना कि आज तुम जियादा बेकरार हो ।।
वह मैकदों के पास से गुजरा नहीं कभी ।
गर चाहते हो रिन्द को तो इश्तिहार हो ।।
निकला हैआज चाँद शायद मुद्दतों के बाद।
अब वस्ल पर वो फैसला भी आरपार हो।।
आया शिकार पर न् वोखुद ही शिकार हो। इतना खुदा करे उसे बेगम से प्यार हो ।।
लिक्खा दरख़्त पर किसी पगली ने कोई नाम।
शायद गरीब दिल की कोई यादगार हो।।
हालात हैं खराब क्यों कुछ सोचिये जनाब ।
मुमकिन कहीं नसीब में गहरी दरार हो ।।
कुछ इस तरह से क़ैद में रखिये उसे हुजूर ।
ऐसा न् हो कि इश्क का मुजरिम फरार हो।।
आये नही वो आज भी महफ़िलके आसपास ।
पूछो कहीं न् और भी सजता दयार हो ।।
रोते दिखे हैं आप भी रुख़सत पे बेहिसाब ।
शायद किसी अदा पे कोई जाँ निशार हो ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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