121 22 121 2 2 121 22 121 22
नई जवानी नई अदाएं
कहीं ये नीयत फिसल न् जाए ।।
जरा सँभालो अदब में पल्लू
कोई इरादा बदल न् जाए ।।
कबूल कर ले सलाम मेरा
ऐ हुस्न वाले तुझे है सज़दा ।
मेरी मुहब्बत का दौर यूं ही
तेरी ख़ता से निकल न् जाए ।।
बड़ी तमन्ना थी महफ़िलो की
ग़ज़ल में उसके पयाम होगा ।
उधर है दरिया में बेरुखी तो
इधर समंदर मचल न् जाए ।।
है क़त्ल का गर तेरा इरादा
तो दर्द देकर गुनाह मत कर ।
हराम होगा ये इश्क़ तेरा
ख़ुदा के घर तक दखल न् जाए ।।
अगर ज़मीं में है तिश्नगी कुछ
तो बादलों पर यकीन रखना ।
तेरी बेसब्री बड़ी जुदा है
तमाम ख्वाहिश निगल न् जाए ।।
ये गर्म झोंके बता रहे हैं
वो आग अब तक बुझी नहीं है ।
खुदा से इतनी सी इल्तज़ा है
वो मोम का घर पिघल न् जाए ।।
न् राज पूछो मेरी जुबाँ से
मेरी मुहब्वत तबाह होगी ।।
मैं जख़्म अपना छुपा गया हूँ
ये दिल तुम्हारा दहल न् जाए ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
नई जवानी नई अदाएं
कहीं ये नीयत फिसल न् जाए ।।
जरा सँभालो अदब में पल्लू
कोई इरादा बदल न् जाए ।।
कबूल कर ले सलाम मेरा
ऐ हुस्न वाले तुझे है सज़दा ।
मेरी मुहब्बत का दौर यूं ही
तेरी ख़ता से निकल न् जाए ।।
बड़ी तमन्ना थी महफ़िलो की
ग़ज़ल में उसके पयाम होगा ।
उधर है दरिया में बेरुखी तो
इधर समंदर मचल न् जाए ।।
है क़त्ल का गर तेरा इरादा
तो दर्द देकर गुनाह मत कर ।
हराम होगा ये इश्क़ तेरा
ख़ुदा के घर तक दखल न् जाए ।।
अगर ज़मीं में है तिश्नगी कुछ
तो बादलों पर यकीन रखना ।
तेरी बेसब्री बड़ी जुदा है
तमाम ख्वाहिश निगल न् जाए ।।
ये गर्म झोंके बता रहे हैं
वो आग अब तक बुझी नहीं है ।
खुदा से इतनी सी इल्तज़ा है
वो मोम का घर पिघल न् जाए ।।
न् राज पूछो मेरी जुबाँ से
मेरी मुहब्वत तबाह होगी ।।
मैं जख़्म अपना छुपा गया हूँ
ये दिल तुम्हारा दहल न् जाए ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
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