2122 1212 22
वो दिखी बेनकाब है यारों।
सारा चेहरा गुलाब है यारोँ ।।
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है ।
सबकी नीयत खराब है यारों ।।
है लबों पर अजीब सी जुम्बिश ।
कैसा छाया शबाब है यारों।।
होश खोया है देख कर उसको ।
वह पुरानी शराब है यारों ।।
एक मुद्दत के बाद देखा है ।
हुस्न का इंकलाब है यारों।।
मैं जिसे सुबहो शाम पढ़ता हूँ ।
वह ग़ज़ल लाजबाब है यारों ।।
मत पढो जिंदगी का हर पन्ना ।
बेबसी की किताब है यारों।।
पैरहन ख्वाब में वो आती है ।
कितनी आदत खराब है यारों ।।
क्या सुनाऊँ मैं बात रातों की ।
वो कोई माहताब है यारों ।।
आज बादल जमीं पे बरसेंगे ।
तिश्नगी बेहिसाब है यारों ।।
जिस से मिलने गए थे महफ़िल में ।
वह मेरा इंतखाब है यारों ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
वो दिखी बेनकाब है यारों।
सारा चेहरा गुलाब है यारोँ ।।
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है ।
सबकी नीयत खराब है यारों ।।
है लबों पर अजीब सी जुम्बिश ।
कैसा छाया शबाब है यारों।।
होश खोया है देख कर उसको ।
वह पुरानी शराब है यारों ।।
एक मुद्दत के बाद देखा है ।
हुस्न का इंकलाब है यारों।।
मैं जिसे सुबहो शाम पढ़ता हूँ ।
वह ग़ज़ल लाजबाब है यारों ।।
मत पढो जिंदगी का हर पन्ना ।
बेबसी की किताब है यारों।।
पैरहन ख्वाब में वो आती है ।
कितनी आदत खराब है यारों ।।
क्या सुनाऊँ मैं बात रातों की ।
वो कोई माहताब है यारों ।।
आज बादल जमीं पे बरसेंगे ।
तिश्नगी बेहिसाब है यारों ।।
जिस से मिलने गए थे महफ़िल में ।
वह मेरा इंतखाब है यारों ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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