2122 1212 22
ताकतें पायमाल करती हैं ।
ख्वाहिशें तब हलाल करती हैं ।।
खा रहे वे हराम की दौलत ।
रोटियाँ तक मलाल करती हैं ।।
मर रहे भूंख से यहां अदने।
कुर्सियां क्या खयाल करती हैं ।।
हाल कैसे तुझे बताएं हम ।
चुप्पियां ही सवाल करती हैं ।।
वह नमाज़ी भी हो गया तेरा ।
तेरी आंखें कमाल करती हैं ।।
आज मुश्किल है यार से मिलना ।
वस्ल में अंतराल करती हैं ।।
उस का चेहरा बुझा बुझा सा है ।
तोहमतें कब निहाल करतीं हैं ।।
हैं कहाँ वे वफ़ा के काबिलअब ।
बे अदब का मज़ाल करती हैं ।।
यह ज़माने का है असर देखो ।
वे दुपट्टा रुमाल करती हैं ।।
ताकतें पायमाल करती हैं ।
ख्वाहिशें तब हलाल करती हैं ।।
खा रहे वे हराम की दौलत ।
रोटियाँ तक मलाल करती हैं ।।
मर रहे भूंख से यहां अदने।
कुर्सियां क्या खयाल करती हैं ।।
हाल कैसे तुझे बताएं हम ।
चुप्पियां ही सवाल करती हैं ।।
वह नमाज़ी भी हो गया तेरा ।
तेरी आंखें कमाल करती हैं ।।
आज मुश्किल है यार से मिलना ।
वस्ल में अंतराल करती हैं ।।
उस का चेहरा बुझा बुझा सा है ।
तोहमतें कब निहाल करतीं हैं ।।
हैं कहाँ वे वफ़ा के काबिलअब ।
बे अदब का मज़ाल करती हैं ।।
यह ज़माने का है असर देखो ।
वे दुपट्टा रुमाल करती हैं ।।
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