*221 2121 1221 212*
किस्मत ने उसके साथ करिश्मा नही किया ।
जिसने कभी वफ़ा से किनारा नहीं किया ।।
रहना पड़ा उसी के हरम में तमाम उम्र ।
जिसने हमारा साथ गवारा नहीं किया ।।
कितनी मिली जफ़ा है मुहब्बत के वास्ते ।
तुमने कभी हिसाब पे चर्चा नहीं किया ।।
कानून पास हो चुके मुद्दों के नाम पर ।
किसने कहा करों में इजाफा नहीं किया ।।
लुटती है आबरू जो सरेआम शह्र में ।
कहते हैं लोग हुस्न पे परदा नहीं किया ।।
शायद कोई ख़ता हुई जबसे नज़र मिली।
उसने इधर निगाह दुबारा नहीं किया ।।
इफ़्लास का हमारे जब उसको पता चला ।
तब से वो ऐतबार हमारा नहीं किया ।।
कुछ तो सहा है दर्द जरा मानिए हुजूर ।
शब भर दुआ के साथ गुजारा नहीं किया ।।
कितना बदल गया है यहां आम आदमी ।
इज्ज़त गई तो शोर शराबा नहीं किया ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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किस्मत ने उसके साथ करिश्मा नही किया ।
जिसने कभी वफ़ा से किनारा नहीं किया ।।
रहना पड़ा उसी के हरम में तमाम उम्र ।
जिसने हमारा साथ गवारा नहीं किया ।।
कितनी मिली जफ़ा है मुहब्बत के वास्ते ।
तुमने कभी हिसाब पे चर्चा नहीं किया ।।
कानून पास हो चुके मुद्दों के नाम पर ।
किसने कहा करों में इजाफा नहीं किया ।।
लुटती है आबरू जो सरेआम शह्र में ।
कहते हैं लोग हुस्न पे परदा नहीं किया ।।
शायद कोई ख़ता हुई जबसे नज़र मिली।
उसने इधर निगाह दुबारा नहीं किया ।।
इफ़्लास का हमारे जब उसको पता चला ।
तब से वो ऐतबार हमारा नहीं किया ।।
कुछ तो सहा है दर्द जरा मानिए हुजूर ।
शब भर दुआ के साथ गुजारा नहीं किया ।।
कितना बदल गया है यहां आम आदमी ।
इज्ज़त गई तो शोर शराबा नहीं किया ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
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